हाई कोर्ट से स्टे के बावजूद सरकार ने आदेश किए पारित
इंडिया गौरव ब्यूरो कैथल 7 जून। हरियाणा अनुसूचित जाति राज्य अध्यापक संघ के राज्य प्रधान डॉ दिनेश निम्बरिया व राज्य संयोजक दलबीर राठी ने एक संयुक्त बयान में कहा कि निदेशक मौलिक शिक्षा हरियाणा पंचकूला के आदेश संख्या 15/27-2021 ईएसएचएम (1) दिनांक 27/5/2025 के माध्यम से हरियाणा के अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के 317 मौलिक स्कूल मुख्य अध्यापकों को रिवर्ट करने के आदेश जारी किए हैं। उक्त आदेश न केवल न्यायिक प्रक्रियाओं की अवहेलना करते हैं बल्कि अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग के शिक्षकों के संवैधानिक अधिकारों का घोर उल्लंघन भी करते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में प्रतिशत के मामले में जिन अध्यापकों को पूर्व में रिवर्सन आदेश प्राप्त हुए थे उन्हें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त हैं।ऐसे में विचाराधीन मामले में विभाग द्वारा पुन: रिवर्ट का निर्णय लेना न्यायालय की अवमानना है। वर्तमान में रिवर्ट किए गए शिक्षकों को कारण बताओं नोटिस जारी नहीं किया गया जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत एवं सेवा नियमों का सीधा उल्लंघन है। कम प्रतिशत होने के बावजूद सामान्य वर्ग के अनेक प्रधानाचार्य, हाई स्कूल मुख्य अध्यापक एवं मौलिक स्कूल मुख्य अध्यापकों को रिवर्ट के आदेश न देकर केवल अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग के शिक्षकों को ही 5 प्रतिशत अंकों की छूट का आधार बनाकर रिवर्ट किया गया है, जो असंवैधानिक है।
ये हैं संघ की मुख्य मांगें
उन्होंने मांग की कि कर्मचारी की जिन सेवा नियमों के तहत नियुक्ति की गई है, नियुक्ति के समय उसकी शैक्षणिक योग्यता जो निर्धारित की गई थी, बाद में शैक्षणिक योग्यता व प्रतिशत की शर्त लगाना कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है। इसे दुरुस्त व संशोधित किया जाए। सभी संबंधित शिक्षकों को न्यायालय की स्थिति स्पष्ट होने तक यथा स्थिति में बनाए रखा जाए। संघ का शिष्टमंडल इस मामले को लेकर कृष्ण बेदी मंत्री, कृष्ण पवार मंत्री, पवन खरखौदा विधायक, रविंद्र बलियाला अध्यक्ष अनुसूचित जाति आयोग हरियाणा व निदेशक सैकेंडरी स्कूल शिक्षा विभाग से मिलकर इस भेदभाव पूर्ण रिवर्सन आदेश को रद्द करने की मांग कर चुका है। संघ को आश्वासन दिया गया लेकिन कार्यवाही अभी तक नहीं हुई है।