इंडिया गौरव, राहुल सीवन 18 मई ।
प्रमुख समाजसेवी राजीव गर्ग व सेवानिवृत कर्मचारी व गौ भक्त पूर्ण सैनी ने कहा कि देश में लगातार बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़कर रख दी है।
हर दिन बढ़ रहे आवश्यक वस्तुओं के दाम ने घर चलाना मुश्किल कर दिया है।
बाजार में सब्जियों, दालों, आटे और रसोई गैस की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
मध्य वर्ग और निम्न वर्ग के लिए भोजन का प्रबंध करना भी एक संघर्ष बन गया है। लोगों का कहना है कि अब सिर्फ दाल-रोटी तक सीमित रह गया है जीवन।
उन्होंने कहा कि सरकार को जनता की पीड़ा समझनी चाहिए और तत्काल राहत देनी चाहिए।
गृहणियों के लिए रसोई का बजट बनाना अब चुनौती बन गया है।
हर हफ्ते महंगाई बढ़ने से उन्हें कई जरूरी चीजें काटनी पड़ रही हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को रोजमर्रा की वस्तुओं पर नियंत्रण लगाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि बुजुर्गों और पेंशनधारकों की हालत भी खराब हो गई है। पेंशन में दवा, राशन और बिजली का खर्च निकालना असंभव होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि महंगाई से जूझते-जूझते अब जीवन बोझ जैसा लगने लगा है। उन्होंने कहा कि सरकार को बुजुर्गों के लिए अलग से राहत योजना लानी चाहिए।मजदूर और छोटे दुकानदार सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
एक दिन की आमदनी अब पूरे परिवार की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रही है।
उन्होंने कहा कि महंगाई के इस दौर में दो वक्त की रोटी जुटाना भी भारी पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार को मजदूरी बढ़ाने और मूलभूत चीजों को सस्ता करने की दिशा में काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि
किसानों की भी मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
खाद, बीज, डीजल और कीटनाशकों के बढ़े हुए दामों ने खेती घाटे का सौदा बना दिया है। लागत लगातार बढ़ रही है लेकिन फसलों के दाम नहीं बढ़ते।
उन्होंने कहा कि सरकार को कृषि क्षेत्र के लिए विशेष राहत पैकेज जारी करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी ने आम जीवन को अप्रत्यक्ष रूप से और महंगा कर दिया है।
ट्रांसपोर्ट महंगा होने से हर चीज के दाम स्वयं बढ़ जाते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को ईंधन के दामों में स्थायित्व लाना चाहिए।
बाजारों में ग्राहक घटते जा रहे हैं, जिससे छोटे व्यापारियों की बिक्री प्रभावित हो रही है।
बिक्री कम होने से दुकानदारों की आमदनी घट रही है, जबकि खर्चे बढ़ते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को व्यापारियों को टैक्स में राहत देनी चाहिए।
सरकारी योजनाओं और घोषणाओं का असर जमीनी स्तर पर नजर नहीं आ रहा है।
जनता का मानना है कि सिर्फ आंकड़ों से नहीं, जमीन पर राहत महसूस होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हर बार नई योजना का वायदा होता है लेकिन महंगाई जस की तस रहती है।
उन्होंने कहा कि इस बार सिर्फ वायदा नहीं, ठोस क्रियान्वयन चाहिए। उन्होंने कहा कि
सरकार से यह अपील की जा रही है कि सरकार महंगाई को प्राथमिक मुद्दा माने।
राजनीति से ऊपर उठकर आमजन के हित में निर्णायक कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि सिर्फ चुनावी भाषणों से पेट नहीं भरता, अब कार्रवाई चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार को अब जागना होगा, नहीं तो जनता का गुस्सा फूट सकता है।