Saturday, December 6, 2025
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अमेरिका पर मंडरा रहा मेगा सुनामी का खतरा, हजार फीट उठेंगी समुद्री लहरें

 वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी, विनाशकारी घटनाओं के लिए तकनीकी तैयारी जरुरी

वॉशिंगटन, 24 मई  । अमेरिका पर सुनामी खतरा मंडरा रहा है। दावा किया जा रहा है कि

एक हजार फीट की ऊंचाई जितनी सुनामी की लहरें उठेंगी। इस दौरान इतनी तबाही मचेगी कि आपने

कभी सोचा भी नहीं होगा। मीडिया रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि कैस्केडिया सबडक्शन

जोन में शक्तिशाली भूकंप आने के बाद ऐसा नजारा देखने को मिलेगा।

एक अध्ययन में कहा गया कि अगले 50 सालों में 15 फीसदी संभावना है कि 8.0 तीव्रता का भूकंप

इस क्षेत्र में आ सकता है और फिर अमेरिका के पश्चिमी तटीय शहर 6.5 फीट तक जमीन में धंस

जाएंगे। सिएटल, पोर्टलैंड, अलास्का, हवाई के शहरों को भारी नुकसान होने की संभावना जताई गई

है। मेगा सुनामी सामान्य सुनामी से ज्यादा खतरनाक होती है। सामान्य सुनामी की लहरें कुछ फीट

ऊंची होती हैं, जबकि मेगा सुनामी की लहरें सैकड़ों फीट ऊंची होती हैं। ये बड़े समुद्री घटनाओं जैसे

भूकंप, भूस्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट से पैदा होती हैं।

कैस्केडिया सबडक्शन जोन उत्तरी वैंकूवर द्वीप से कैलिफोर्निया के केप मेंडोसिनो तक 700 मील में

फैला है। यह उत्तरी अमेरिका का सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र है। पिछले 10,000 सालों में यहां 43

भूकंप दर्ज किए गए हैं, जिनमें से अंतिम 26 जनवरी 1700 को 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था,

इससे तट धंसा और सुनामी पैदा हुई। अध्ययन के प्रमुख के मुताबिक भूकंप के बाद तटीय क्षेत्रों में

बाढ़ का दायरा बढ़ेगा और ठीक होने में लंबा समय लगेगा।

दक्षिणी वाशिंगटन, उत्तरी ओरेगन और उत्तरी कैलिफोर्निया को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है।

अलास्का और हवाई भी खतरे में हैं। मेगा सुनामी की लहरें कई मील अंतर्देशीय तक जा सकती हैं,

जिससे तटीय बाधाएं नष्ट हो सकती हैं और लोगों को भागने का समय भी नहीं मिलेगा। रिपोर्ट में

ओरेगन आपातकालीन प्रबंधन विभाग का कहना है कि 9.0 तीव्रता का भूकंप और 100 फीट की

सुनामी फिर से तट को प्रभावित कर सकती है।

भारत जैसे देश जहां 2004 की सुनामी ने 2 लाख से ज्यादा लोगों की जान ली थी, इस खतरे को

समझ सकते हैं। यह अध्ययन वैश्विक स्तर पर तटीय क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन और तैयारी की जरुरत

बताता है। मेगा सुनामी जैसी दुर्लभ लेकिन विनाशकारी घटनाओं के लिए तकनीकी और सामुदायिक

तैयारी करना जरुरी है ताकि लाखों लोगों की जान बचाई जा सके।

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