इंडिया गौरव ब्यूरो कैथल 28 मई । जम्मु कश्मीर में तैनात शहीद ग्रेनेडियर गुरमीत सिंह का पार्थिव शरीर आज तिरंगे में लिपट कर उनके पैतृक गांव करोड़ा पहुंचा। दो दिन पूर्व उनकी तबीयत खराब होने के कारण उन्हें दिल्ली के आर आर अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। सात साल की सेवा के बाद गुरमीत सिंह ने दिल्ली के आरआर अस्पताल में मंगलवार को अंतिम सांस ली। गुरमीत सिंह 2017 में सेना में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे व इन दिनों श्रीनगर में 20वीं बटालियन ग्रेनेडियर रेजिमेंट में तैनात थे। पांच महीने पहले वे छुट्टी काटकर वापिस ड्यूटी पर लौटे थे। गुरमीत की अभी शादी नहीं हुई थी। गुरमीत की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल में ही हुई थी। 12वीं करने के बाद वे 2017 में सेना में सिपाही के पद पर भर्ती हो गए थे। परिवार में माता पिता के अतिरिक्त एक बहन सुनीता व एक बड़ा भाई मंदीप है। शहीद गुरमीत को आज पैतृक गांव करोड़ा में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। बड़े भाई मंदीप ने मुखाग्नि दी। परिवार ने कहा की उन्हें गुरमीत की शहादत पर गर्व है। वहां डीसी की तरफ से कैथल के एसडीएम अजय कुमार जांगड़ा, जिला सैनिक बोर्ड, पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन कैथल के प्रधान जगजीत फौजी, एसएचओ इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह थाना पूंडरी, 20 ग्रेनेडियर से सुबेदार विजय सिंह, एरिया हैडक्वाटर अंबाला कैंट, विधायक पूंडरी की तरफ से उनके भाई गुलाब ने रीट चढ़ाई और सभी ने फूल मालाओं व पुष्प अर्पित करके अपने जांबाज को श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि के बाद एसडीएम अजय कुमार जांगड़ा एचसीएस, जगजीत फौजी व सूबेदार विजय सिंह ने गरनेडियर के पिता राजा राम व भाई संदीप को तिरंगा भेंट किया। अंबाला से पहुंची गार्ड ने सैन्य सम्मान में सलामी दी।
तिरंगे में लिपट कर आना सौभाग्य की बात : जगजीत
जगजीत फौजी ने कहा कि वे लोग भाग्यशाली होते हैं जिनके शरीर तिरंगे में लिपट कर आते हैं। देश के लिए कुर्बान होने का सौभाग्य किसी बिरले को ही नसीब होता है। हर सैनिक का ये सपना होता है कि हम दुश्मन की छाती के अंदर तिरंगा गाड़ कर आएंगे या फिर तिरंगे में लिपटकर आएंगे। गांव करोड़ा, पाई, भाना, रामना रामानी बाकल, सेरदा, पुंडरी के अतिरिक्त पूंडरी के प्रधान गोपीचंद बनवाला, ढांड के प्रधान सूबेदार उदयभान शर्मा, पूर्व चेयरमैन रणधीर सिंह ढुल पाईं, जिला एसोसिएशन से हवलदार मदन सिंह चहल व सूबेदार बलबीर सिंह माजरा, हवलदार कर्ण सिंह सरपंच के नेतृत्व में सैकड़ों पूर्व सैनिकों, मातृशक्ति और बच्चों ने अपने इस लाल को अंतिम विदाई दी।



