इमली का बुटा ,बेरी के बेर..
इमली खट्टी,मीठे बेर…
उक्त गीत की पंक्तियां आप सब ने दलीप कुमार ओर राजकुमार को गाते फ़िल्म सौदागर में सुना होगा..
इंडिया गौरव ब्यूरो कैथल 29 मई । राजकीय वरिष्ठ माद्यमिक विधालय कैथल में मे 108 वर्ष पुराना इमली का हरा भरा पेड़ देख कर आप के मुख से स्वयं उक्त गीत ‘इमली का बूटा के बोल निकलने लगेगे। आज पर्यावरण विशेष पर हम आप को कैथल के राजकीय वरिष्ठ माद्यमिक विधालय के इमली के पेड़ के शाश्वत खड़ा रहने की कहानी उसी की जुबानी सुनाते है।भारत में अंग्रेजो की हुकूमत के चलते 1917 में इस स्कूल में कस्बे के अलावा दर्जनों गांव के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते थे। उन दिनों लाला शिव नारायण हेड मास्टर के रूप कार्यरत थे। हेडमास्टर ने दूर की सोच कर पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए कई पेड़ लगवाए उन में जीता जागता हरा भरा इमली का खड़ा पेड़ लाखों विद्यार्थियों की बचपन के विद्यार्थी जीवन को याद करवाने में अहम रोल अदा कर रहा है। इस पेड़ के चारो ओर बने चबूतरे पर पत्थर की नेम प्लेट लगी हुई है। प्लेट पर पेड़ लगाने की तिथि ओर लगाने वाले का नाम का अंकित है। 1917 में रोपा इमली का पेड़ 2025 तक 108 बसंत पूरे करने के अलावा इस पेड़ की छांव में लाखों छात्रों ने अपना भविष्य संवारते हुए ऊंचे पदों को शोभायमान किया। सेवा संघ कैथल के प्रधान शिव शंकर पाहवा ने गत दिन स्कूल को समाज सेवकों के सहयोग से वाटर कुलर लगवाने आए तो इमली के पेड़ को देख कर उनको विद्यार्थी जीवन की सारी यादें ताजा होने पर उनकी आंखे खुशी से नम हो गई। पाहवा ने बताया कि हमारे समय में इमली के पेड़ की देखभाल पलटू माली करता था। पेड़ पर पक्षियों का वास था। ज्यादा संख्या तोतों की थी। हम सब विद्यार्थी इमली बड़े चाव से खाते थे। कक्षाएं भी इमली के पेड़ के नीचे लगा करती थीं। आज इस स्कूल के पुरातन छात्र के नाम पर सारे विश्वभर में रह रहे छात्र साल में रिटायर्ड मास्टर ज्ञान चंद भल्ला के नेतृत्व में इक्कठा हो कर एक दिन पूरा समय स्कूल में आकर अपनी स्कूली यादों को ताजा कर पुनः बच्चे बन कर मौज मस्ती करते हैं। ज्ञान चंद भल्ला ने बताया कि इस पेड़ की छाव ओर खट्टी इमली का मजा ही निराला था। उन दिनों में जब पंखे ओर लाइट की कमी के चलते टीचर छात्रों को इस पेड़ के नीचे बैठा कर कक्षाएं लिया करते थे। आज भी इस स्कूल का कोई पुरातन छात्र जीवन के किसी मोड़ पर मिलता है तो उस का पहला सवाल यही होता है कि इमली का पेड़ ठीक है। गौरतलब है कि स्कूल के पुराने छात्र जो ऊंचे पदों पर आसीन है हर वर्ष स्कूल और स्कूली बच्चों को बहुत सी आर्थिक सहायता भी देते हैं। आओ इस पर्यावरण के मौके पर हम भी घर के सभी सदस्यों के नाम का एक पौधा रोप कर उसे पाले। पेड़ लगाओ ओर जीवन बचाओ के नारे को सार्थक करे।
फीचर लेखक, प्राचार्य : हरपाल सिंह कैथल


