Saturday, December 6, 2025
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गीता को वैश्विक चेतना में बदलने वाले युगद्रष्टा : गीता मनीषी व महामंडलेश्वर स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज के जन्मदिवस पर विशेष

इंडिया गौरव, 15 मई, राहुल सीवन। श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति सीवन के पूर्व प्रधान एवं स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के परम भक्त सुरेश सरदाना राजू ने जानकारी देते हुए बताया कि आज गीता मनीषी, महामंडलेश्वर, श्री कृष्ण कृपा सेवा समितियों एवं “जिओ गीता” अभियान के संस्थापक पूज्य स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज का जन्मदिवस है। इस पावन अवसर पर देश-विदेश में फैले उनके करोड़ों श्रद्धालु भक्ति, सेवा और गीता के प्रचार में संलग्न होकर यह दिन उत्सव रूप में मना रहे हैं। स्वामी जी का जीवन अध्यात्म, सेवा, संस्कृति और गीता प्रचार को समर्पित है। सुरेश सरदाना ने बताया कि स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज का जन्म 15 मई 1957 को हरियाणा के अंबाला जिले के छोटे से गांव काकड़ू में हुआ था। उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (M.A.) की डिग्री प्राप्त की और युवावस्था में ही उनका झुकाव आध्यात्मिक जीवन की ओर हो गया। उन्होंने सांसारिक बंधनों को त्यागकर साधना-पथ अपनाया। स्वामी जी ने न केवल भारतवर्ष में, बल्कि विश्व के अनेक देशों में भगवद्गीता का प्रचार-प्रसार कर “गीता को घर-घर तक पहुंचाने का” संकल्प लिया। उन्होंने “जिओ गीता” नामक अभियान की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य केवल धार्मिक उपदेश देना नहीं, बल्कि गीता के सार को जीवन में उतारने की प्रेरणा देना है। यह अभियान आज एक वैश्विक चेतना आंदोलन बन चुका है, जो युवाओं, प्रोफेशनल्स और विद्यार्थियों को भी गीता से जोड़ रहा है। स्वामी ज्ञानानंद जी गौ सेवा को भी परम धर्म मानते हैं। उन्होंने अनेक स्थानों पर गौशालाओं की स्थापना की है, जहां हजारों गायों का संरक्षण, पालन और उपचार किया जा रहा है। इन गौशालाओं में न केवल गोवंश की सेवा होती है, बल्कि यह स्थान सेवा, संस्कार और संवेदना के केंद्र भी बन चुके हैं। पूज्य स्वामी जी द्वारा स्थापित “गीता महोत्सव” आज एक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन बन चुका है, जिसमें भारत के साथ-साथ अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, दुबई, ऑस्ट्रेलिया, मॉरिशस आदि देशों में भी भगवद्गीता का सामूहिक पाठ, संगोष्ठिया और आध्यात्मिक प्रवचन आयोजित किए जाते हैं। उनका उद्देश्य है कि हर व्यक्ति गीता को केवल धार्मिक ग्रंथ न माने, बल्कि उसे जीवन के हर संकट का समाधान देने वाली अमूल्य मार्गदर्शिका समझे। उन्होंने बताया कि स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने गीता को “प्रबंधन, शिक्षा, विज्ञान, और मानसिक स्वास्थ्य” से भी जोड़ा है। गीता केवल मोक्ष का ग्रंथ नहीं, बल्कि कर्मयोग और जीवन प्रबंधन का ऐसा अद्वितीय स्रोत है, जिससे हर उम्र और वर्ग का व्यक्ति लाभ ले सकता है। उनके द्वारा चलाए गए ‘गीता ज्ञान यज्ञ’, ‘श्रीमद्भगवद्गीता पाठ योजना’ और ‘संस्कार शिक्षा अभियान’ समाज में नई चेतना ला रहे हैं। पूज्य महाराज जी का जीवन सरलता, आत्मनिष्ठा और सेवा से परिपूर्ण है। वे हर वर्ष अनेक देशों की यात्राएं करते हैं, जहां भारतीय समुदाय ही नहीं, विदेशी नागरिक भी उनके प्रवचनों से प्रभावित होकर भगवद्गीता पढ़ने और समझने की प्रेरणा लेते हैं। उन्होंने आधुनिक तकनीक को भी अध्यात्म से जोड़ा है, जिससे सोशल मीडिया, मोबाइल एप्स, ऑनलाइन गीता पाठ और वीडियो प्रवचनों के माध्यम से आज लाखों लोग जुड़ चुके हैं। आज उनके जन्मदिवस पर देश-विदेश में अनेक स्थानों पर गीता पाठ, सेवा कार्य, रक्तदान शिविर, भजन संध्या और साधु-संतों के प्रवचन आयोजित किए जा रहे हैं। यह दिन उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणा का पर्व है, जो उन्हें सेवा, साधना और संयम की ओर अग्रसर करता है। स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज का जीवन इस बात का जीवंत उदाहरण है कि यदि संकल्प पवित्र हो और उद्देश्य लोककल्याण का हो, तो एक संत भी करोड़ों लोगों की जीवन दिशा बदल सकता है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि गीता केवल ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की शैली है, और हर युग में उसकी प्रासंगिकता अक्षुण्ण है। उनके जन्मदिवस के इस पावन अवसर पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम भी गीता के संदेश को आत्मसात कर अपने जीवन को ऊंचाइयों तक ले जाएं और समाज में धर्म, सेवा व नैतिक मूल्यों का प्रचार करें।

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