इंडिया गौरव ब्यूरो कैथल, 11 मई । अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश नंदिता कौशिक की अदालत ने दस लाख रुपये का चैक बाउंस होने के मामले में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई एक साल की सजा को बरकरार रखा है। शिकायत पक्ष के वकील अजय गुप्ता व अर्पित गुप्ता ने बताया कि कैथल निवासी सुदर्शन कुमार ने अदालत में शिकायत दी थी कि सतीश शर्मा निवासी गांव रोहेड़ा ने उससे जमीन खरीद-फरोख्त करने में 9 जनवरी 2015 को दस लाख रुपये नकद लिए थे। जब जमीन का सौदा नहीं हुआ तो सतीश ने दस लाख रुपये वापस करने के की एवज में 11 फरवरी 2015 को सुदर्शन को पीएनबी का दस लाख रुपये का चैक दिया था। जब यह चैक सुदर्शन ने बैंक में भुगतान के लिए लगाया तो खाते में रुपए ना होने के कारण चैक बाउंस हो गया। इसके बाद बार-बार मांगने पर भी सतीश शर्मा ने उसे राशि नहीं लौटाई। इस पर सुदर्शन ने अदालत में एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत इस्तगासा दायर कर दी। तत्कालीन ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी किरणप्रीत कौर सग्गू की अदालत ने केस की सुनवाई करते हुए 30 मार्च 2018 को सतीश शर्मा को दोषी करार देते हुए एक साल की सजा व दस लाख रुपये की राशि नौ प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए थे। इसके बाद सतीश शर्मा ने अतिरिक्त एवं जिला सत्र न्यायाधीश की अदालत में अपील की थी। इस अपील पर सुनवाई करते हुए एडीजे नंदिता कौशिक ने अपने 13 पेज के फैसले में निचली अदालत द्वारा सुनवाई गई एक साल की सजा को सही ठहराया। सतीश शर्मा को जेल भेज दिया गया है।
चैक बाउंस मामले में एडीजे ने एक साल की सजा रखी बरकरार
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