इंडिया गौरव, राहुल सीवन 27 मई । समाजसेविका सुदीक्षा वह समाजसेविका पारुल ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि जिस प्रकार हम अपने परिजनों की सेवा करते हैं, उसी प्रकार हमें प्रकृति के नन्हें जीवों—पक्षियों की सेवा भी नित्य करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी में पक्षी पानी और भोजन के अभाव में तड़पते हैं, ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य बनता है कि वह अपने घर की छत, आंगन या गली में मिट्टी के बर्तन में साफ पानी व दाना जरूर रखे।समाजसेविका ने कहा कि पक्षियों के कलरव से ही प्रकृति की शोभा बढ़ती है। यदि हम इनका संरक्षण नहीं करेंगे, तो भविष्य में पीढ़ियां केवल चित्रों में ही पक्षी देख पाएंगी। उन्होंने कहा कि सेवा का अर्थ केवल मनुष्यों की मदद करना नहीं होता, अपितु जो निराश्रित हैं, मूक हैं, उनकी सहायता ही सच्चे सेवा-भाव को दर्शाती है।समाजसेविका ने स्वयं उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि वे प्रतिदिन अपने घर की छत पर ताजे पानी का सकोरा और बाजरा, चावल आदि का मिश्रण रखती हैं। उन्होंने समाज से आग्रह किया कि एक छोटा-सा प्रयास हजारों पक्षियों की जान बचा सकता है। यह पुण्य का कार्य है और ईश्वर भी ऐसे सेवाभाव से प्रसन्न होते हैं।उन्होंने कहा कि हमें बच्चों को भी इस सेवा से जोड़ना चाहिए ताकि उनमें बचपन से ही जीवों के प्रति करुणा और संवेदना विकसित हो। समाजसेविका का यह संदेश जन-जन के हृदय को छू गया और उपस्थित लोगों ने भी इस नेक कार्य में सहभागिता का संकल्प लिया।