नई दिल्ली, 17 मई। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी के नेता
जैस्मीन शाह को वह याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी है जिसमें उन्होंने 2022 में दिल्ली संवाद
एवं विकास आयोग (डीडीसीडी) के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करने से रोकने संबंधी दिल्ली सरकार के
आदेश को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने इस महीने की शुरुआत में
दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि याचिका कायम नहीं रह सकती क्योंकि
अधिकारियों का स्पष्ट रुख यह है कि जैस्मीन शाह को पद से हटाना सही था।
जैस्मीन शाह ने अपनी याचिका में दिल्ली सरकार के निदेशक (योजना) द्वारा 17 नवंबर, 2022 को
जारी आदेश को चुनौती दी थी। यह आदेश उपराज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद
केजरीवाल से जैस्मीन को डीडीसीडी के उपाध्यक्ष के पद से हटाने के अनुरोध पर जारी किया गया था।
डीडीसीडी कार्यालय को ‘‘शाह द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग’’ को रोकने के लिए सील कर
दिया गया था और उन्हें दी गई सुविधाएं भी वापस ले ली गई थीं।
याचिका में जैस्मीन ने कहा था कि ‘‘प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग’’ कर उनके खिलाफ अवैध, स्पष्ट रूप
से दुर्भावनापूर्ण और अधिकारों से परे जाकर आदेश जारी किया गया।
जैस्मीन ने उनके कार्यालय को बंद करने और सभी सुविधाओं के साथ-साथ विशेषाधिकारों को वापस
लेने के आदेशों की भी आलोचना की। याचिका के लंबित रहने के दौरान, उपराज्यपाल के वकील ने
बताया कि शाह को हटाने का मामला राष्ट्रपति को भेज दिया गया था।
दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी इलेक्ट्रिक वाहन नीति में जैस्मीन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
वह फूड ट्रक नीति, इलेक्ट्रॉनिक सिटी और शॉपिंग फेस्टिवल समेत दिल्ली सरकार की विभिन्न पहल
का खाका तैयार करने में शामिल डीडीसीडी के उपाध्यक्ष थे।

