इंडिया गौरव राहुल सीवन, 11 मई । संत छविराम दास ने धार्मिक विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी को को जो कुछ भी प्राप्त करता है, वह सब प्रभु की कृपा का ही फल होता है। उन्होंने कहा कि हमारी बुद्धि, सामर्थ्य और प्रयास तभी सफल होते हैं जब ईश्वर की अनुकंपा हमारे साथ होती है। ईश्वर के बिना पत्ता भी नहीं हिलता, इसलिए हमें हर सुख-दुख में प्रभु का धन्यवाद करना चाहिए।उन्होंने बताया कि अहंकार से दूर रहकर विनम्रता के साथ प्रभु के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए। जब हम यह समझ लेते हैं कि सब कुछ ईश्वर की देन है, तब हमारे भीतर से ईर्ष्या, घमंड और असंतोष समाप्त हो जाते हैं। संत छविराम दास ने कहा कि जीवन में चाहे कुछ संसाधन हों या अधिक, दोनों ही स्थितियों में संतोष और कृतज्ञता का भाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रभु की कृपा से ही जीवन में सुख-शांति, संतुलन और सफलता मिलती है। कई बार मनुष्य अपने पुरुषार्थ पर घमंड करता है, परंतु जब विपत्ति आती है, तब उसे ईश्वर की शक्ति का एहसास होता है। संत जी ने यह भी बताया कि जो व्यक्ति प्रभु के प्रति आभार व्यक्त करता है, वही सच्चा भक्त होता है।उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे हर दिन कुछ पल प्रभु के ध्यान और धन्यवाद में लगाएं। संत छविराम दास ने कहा कि जीवन का हर क्षण एक उपहार है और हमें इसे प्रभु की भेंट मानकर सेवा, भक्ति और सद्कर्मों में लगाना चाहिए। यही जीवन की सच्ची दिशा है और यही ईश्वर की सच्ची पूजा है। इस अवसर पर सुरेंद्र सरदाना, ममता सरदाना, प्रशांत आनंद, आदि उपस्थित थे