नई दिल्ली, 10 अप्रैल (वेब वार्ता)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को भारत लाने का श्रेय मोदी सरकार ले रही है, लेकिन सच यह है कि उसे भारत लाने में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की मेहनत आज रंग लाई है। चिदंबरम ने कहा कि 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य आरोपियों में से एक राणा को आज भारत लाया गया, लेकिन पूरी कहानी यह है कि मोदी सरकार इस घटनाक्रम का श्रेय लेने के लिए होड़ में लगी है। जबकि सच्चाई उनके दावों से कोसों दूर है। उन्होंने कहा, “यह प्रत्यर्पण डेढ़ दशक की कठिन, परिश्रमी और रणनीतिक कूटनीति का परिणाम है, जिसकी शुरुआत, अगुवाई और निरंतरता संप्रग सरकार ने अमरीका के साथ समन्वय द्वारा सुनिश्चित की थी। चिदंबरम ने कहा कि सच्चाई यह है कि मोदी सरकार का इसमें कोई योगदान नहीं
है, इस प्रक्रिया की शुरुआत हमने की थी। इसका यह भी तात्पर्य हुआ कांग्रेस की सरकार की गंभीर प्रयास और ईमानदार कोशिश से सबसे खतरनाक अपराधी को भी कानून की कटघरे में खड़ा किया जा सका है। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 25 फरवरी को प्रेस कांफ्रेंस करके इस मामले का पूरा श्रेय लेने का प्रयास किया, लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है यह काम संप्रग सरकार की परिश्रम की परिणाम स्वरुप ही सफल हो सका है। भारत लाया गया मुंबई आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा, स्पेशल विमान ने दिल्ली में की
लैंडिंग
नई दिल्ली, 10 अप्रैल (वेब वार्ता)। मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाया जा चुका है। राणा से इस आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान के सरकारी तत्वों की भूमिका को उजागर करने में सहायता प्राप्त होगी। राणा को लेकर आए स्पेशल विमान ने दिल्ली में लैंडिंग की है। राणा को सुरक्षा के बीच भारत लाया गया है। विमान के लैंडिंग के बाद राणा को एनआईए ने आधिकारिकतौर पर हिरासत में ले लिया है।
राणा को दिल्ली की तिहाड़ जेल के हाई-सिक्योरिटी वॉर्ड में रखा जाएगा। उसकी सुरक्षा के लिए जेल प्रशासन ने खास व्यवस्था की है। राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। उसे कई एजेंसियों की एक टीम अमेरिका से भारत लाई है। राणा को लॉस एंजिलिस में एक महानगर हिरासत केंद्र में रखा गया था। मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले के मुख्य साजिशकर्ता पाकिस्तानी तुहव्वुर राणा को तिहाड़ जेल में रखा जाएगा। राणा को न्यायिक प्रक्रिया के तहत कार्रवाई के लिए अमेरिका से प्रत्यर्पित कर बुधवार को भारत के लिए रवाना किया गया था। तहव्वुर राणा को लेकर अमेरिका से चले विशेष विमान के पालम वायुसैनिक हवाईअड्डे पर लैंडिंग की है। विमान से उतरने के बाद सबसे पहले उसकी मेडिकल जांच करायी जाएगी। इससे पहले अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने राणा की उस याचिका को खरिज कर दिया था, जिसमें उसने खुद को भारतीय अधिकारियों को सौंपे जाने का विरोध किया था। मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबट्र्स की अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद उसे भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने का रास्ता साफ हो गया था। राणा ने प्रत्यर्पण की कार्रवाई के विरुद्ध 13 फरवरी को दायर याचिका में कहा था कि उसके खिलाफ अमेरिका में सभी अपीलों पर अदालती कार्रवाई पूरी होने तक उसे भारत को न सौंपा जाए। उसने तर्क
दिया कि उसे भारत को प्रत्यर्पित किया जाना अमेरिकी कानून और संयुक्त राष्ट्र की यातना विरोधी
संधि का उल्लंघन है। राणा का कहना था कि उसे भारत में यातनाएं दी जा सकती हैं। अमेरिकी शीर्ष
अदालत द्वारा सोमवार को भारत को उसके प्रत्यर्पण के खिलाफ उसकी याचिका को खारिज कर दिये
जाने के बाद उसे भारत भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी। प्रत्यर्पण प्रक्रिया को सुविधाजनक
बनाने के लिए भारत से एक मल्टी-एजेंसी टीम अमेरिका गई थी और उसने अमेरिकी अधिकारियों के
साथ सभी कागजी कार्रवाई और कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने में मदद की। रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक राणा, पाकिस्तान स्थित इस्लामी आतंकवादी समूह, लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था। राणा लॉस एंजिल्स में अमेरिकी मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में 14 साल तक कैद रहा। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार 2023 में भारत को उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी, लेकिन उसने शीर्ष अदालत में बार-बार प्रत्यर्पण रोकने के लिए याचिकाएं दायर कीं थीं, पर उसे आखिरकार सफलता नहीं मिली। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में राणा के भारत में प्रत्यर्पण की घोषणा की थी। राणा ने आतंकवादी हमले से पहले मुंबई में आतंकी हमलों के स्थानों को चिह्नित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से रेकी और जासूसी की थी, उसने दाऊद गिलानी उर्फ डेविड कोलमैन हेडली को पाकिस्तानी-अमेरिकी पासपोर्ट का उपयोग करके भारत की यात्रा करने में भी मदद की थी। इसका उद्देश्य पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के
अधिकारियों के साथ समन्वय करके लश्कर ए तैयबा द्वारा रची गयी मुंबई आतंकी हमलों की
साजिश को अंजाम देना था।

