नई दिल्ली, 10 अप्रैल (वेब वार्ता)। मुंबई हमले का साजिशकर्ता तहव्वुर राणा अपने किए के लिए दोषी करार होगा और संभव है कि उसे मौत की सजा भी हो। पूर्व गृह सचिव गोपाल कृष्णन पिल्लई ने गुरुवार को ये बात कही। पूर्व गृह सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लई ने कहा कि राणा मुंबई हमले का सूत्राधार डेविड कोलमैन हेडली का सहयोगी है। दोनों को पूरी साजिश के बारे में अच्छे से पता है। 26 नवंबर 2008 को जो कुछ भी हुआ उसकी हर बात ये दोनों जानते थे। एनआईए की जांच में दोनों की भूमिका स्पष्ट हो चुकी है और पाकिस्तान बेनकाब हो चुका है। भारत ने इस हमले में शामिल कुछ पाकिस्तानियों के लिए भी वारंट जारी किया लेकिन पाकिस्तान ने उसपर कोई कार्रवाई नहीं की न ही उन लोगों को भारत को सौंपा।
कोट– कमेंट….प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद भारत पर बुरी नजर रखने वालों पर लगातार नकेलकसी जा रही है। भाजपा सरकार में आतंक अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। भारत के खिलाफ कदमउठाने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो रही है।नित्यानंद राय, गृह राज्य मंत्री राणा का भारत प्रत्यर्पण भारत के लिए बड़ी कामयाबी है। जहां उसने आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया अब वहीं उसे सजा मिलेगी। राणा से पूछताछ में जांच एजेंसियों को कुछ नई जानकारी भीमिलेगी। पीड़ितों को न्याय मिलेगा।
आरके सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुंबई हमले का सूत्राधार राणा के खिलाफ भारतीय एजेंसियों के पास पर्याप्त सबूत हैं। अदालत में उसे दोषी ठहराना जाना तय है। राणा को भारतीय कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए क्योंकि वो सैकड़ों लोगों की मौत का गुनहगार है। तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण से मुंबई हजीके पिल्लई, पूर्व गृह सचिवमले के पीड़ितों को न्याय मिलने की घड़ी करीब है। प्रत्यर्पण से हमले के और राज खुलेंगे और उम्मीद है कि जो नए नाम सामने आएंगे उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होगी। सुशील कुमार शिंदे, नेता, काग्रेस राणा से पूछताछ के जरिए जांच एजेंसियां पाकिस्तान को बेनकाब करने में अहम भूमिका निभाएंगी। मुंबई हमले के पीछे पाकिस्तान की क्या भूमिका थी ये पाकिस्तान और पूरी दुनिया को जल्द चल जाएगा। जयंत पाटिल, नेता, एनसीपी, शरद पवार मुंबई हमले में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारीजनों को जल्द न्याय मिलेगा। राणा से पूछताछ में कुछ और तथ्य सामने आएंगे जिससे आतंक के दूसरे साजिशकर्ता भी बेनकाब होंगे।
-प्रियंका चतुर्वेदी, नेता, शिवसेना उद्धव गुटप्रत्यर्पण में एनआईए के दो अफसरों की अहम भूमिकामुंबई हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) के दोअधिकारियों की भूमिका अहम है। ये दो नाम आशीष बत्रा और जया रॉय हैं जिन्होंने पूरी प्रत्यर्पणप्रक्रिया का नेतृत्व किया है। तो आइए जानते हैं कौन हैं ये दोनों अधिकारी और इनकी भूमिका क्याथी।
1.आशीष बत्रा: उग्रवाह विरोधी यूनिट का नेतृत्व कियाभारतीय पुलिस सेवा के 1997 बैच के झारखंड कैडर के अधिकार हैं। फिलहाल एनआईए में आईजी केपद पर तैनात हैं। एनआईए में आने से पहले बत्रा झारखंड की उग्रवाद विरोधी यूनिट झारखंड जगुआरके आईजी थे। आशीष बत्रा को कई बड़े ऑपरेशन चलाने का अनुभव है।जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 में पांच साल के लिए एनआईए में तैनाती मिली थी। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 15 सितंबर 2024 को इनका कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ाया दिया था। ये जहानाबद मेंतीन महीने एसपी के पद पर भी रहे। हजारीबाग और कोयल कारो के एसपी भी रह चुके हैं। रांची मेंएसपी सिटी भी रहे हैं। राज्यपाल की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं। ये झारखंड पुलिस केप्रवक्ता की भी भूमिका निभा चुके हैं।2.जमताड़ा में साइबर अपराधियों का भंडाफोड़ कियाजया रॉय भी भारतीय पुलिस सेवा की 2011 बैच की झारखंड कैडर की अधिकारी हैं। वर्ष 2019 मेंचार साल के लिए पुलिस अधीक्षक के रूप में एनआईए में तैनाती हुई थीं। जमताड़ा में साइबरअपराधियों का भंडाफोड़ इन्हीं के नेतृत्व में हुआ था।जया रॉय के पूरे ऑपरेशन पर जमताड़ा नाम से वेब सीरिज भी बन चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय नेइनका भी कार्यकाल बढ़ाया था। कहा जाता है कि जया रॉय रणनीति बनाने में माहिर हैं औरअपराधियों को उन्हीं की बुने जाल में फंसाने में महारथ हासिल है। जमताड़ा में साइबर अपराधियों काधंधा बंद करने के लिए इन्होंने कई महीने तक मेहनत की थी । विशेष टीम के जरिए इन्होंनेजालसाजी के धंधे को उजागर किया था।
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