नई दिल्ली, 12 मई । दिल्ली हाईकोर्ट ने मद्रासी कैंप में सार्वजनिक भूमि पर हुए
अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया है। यह प्रक्रिया एक जून से शुरू होगी। साथ ही निवासियों के
पुनर्वास के लिए भी दिशानिर्देश जारी किए हैं।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि
ध्वस्तीकरण व्यवस्थित तरीके से होना चाहिए, लेकिन बारापुला नाले को जाम मुक्त करने के लिए
मद्रासी कैंप निवासियों का पुनर्वास भी आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी निवासी पुनर्वास के
अधिकार से परे किसी भी अधिकार का दावा नहीं कर सकता है, क्योंकि यह सार्वजनिक भूमि है और
इस पर लोगों ने अतिक्रमण किया है।
अदालत ने निर्देश दिया कि पुनर्वास के लिए डीडीए, एमसीडी, डुसिब, पीडब्लूडी और दिल्ली सरकार
10 से 12 मई तक दो शिविर लगाएंगे। एक शिविर नरेला फ्लैटों के कब्जे पत्र सौंपने के लिए होगा
और दूसरा शिविर आवश्यकता पड़ने पर ऋण स्वीकृत करने के लिए होगा। पीठ ने कहा कि मद्रासी
कैंप के निवासियों को कानून की कार्यवाही के बारे में पूरी जानकारी है, क्योंकि उनमें से अधिकांश ने
पुनर्वास के पात्रता का मूल्यांकन के सर्वे में भाग लिया था। सितंबर 2024 से ही ध्वस्तीकरण स्थगित रखा गया था।
अदालत ने कहा कि यदि कैंप में कोई निवासी रह गया है तो सर्वे किया जाएगा और उक्त निवासी
डूसिब द्वारा अपनी पात्रता निर्धारित करवा सकते हैं। पीठ ने कहा कि आने वाले माॅनसून को देखते
हुए मद्रासी कैंप के निवासियों का नरेला में पुनर्वास अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने कहा
कि आसपास के इलाकों में गंभीर जलभराव रोकने के लिए बारापुला नाले की समय पर सफाई जरूरी
है। अदालत ने उक्त निर्देश यमुना नदी में गिरने वाले कई नालों पर अनधिकृत अतिक्रमण किए जाने
के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
सुनवाई के दौरान मद्रासी कैंप में बारापुला नाले के किनारे अवैध निर्माण पाया गया। अदालत ने नोट
किया था कि कैंप नाले में रुकावट पैदा कर रहा था और इसके कारण माॅनसून के दौरान इलाकों में
गंभीर जलभराव हो रहा था।

