Saturday, December 6, 2025
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दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने लाल किले पर मनाया ‘दिल्ली फतह दिवस’

इंडिया गौरव ब्यूरो नई दिल्ली, 20 अप्रैल  । दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से बाबा बघेल सिंह, बाबा जस्सा सिंह रामगढ़िया और बाबा जस्सा सिंह आहलूवालिया की अगुवाई में ‘दिल्ली फतह दिवस’ ऐतिहासिक लाल किले पर मनाया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, कैबिनेट मंत्री सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा, सांसद कमलजीत सहरावत, कमेटी अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका, महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों, धर्म प्रचार कमेटी के प्रमुख सरदार जसप्रीत सिंह काहलों, वरिष्ठ पदाधिकारी आत्मा सिंह लुबाना और अन्य सदस्य व हजारों की संख्या में संगत ने भाग लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि बाबा बघेल सिंह, बाबा जस्सा सिंह रामगढ़िया और बाबा जस्सा सिंह आहलूवालिया के नेतृत्व में दिल्ली दरबार पर की गई फतह का जश्न पूरी दुनिया को मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1783 में मिली इस जीत ने दिल्ली का नक्शा ही बदल दिया और इतिहास को ऐसे ऐतिहासिक स्थल दिए जो आज पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली का प्रसिद्ध मोरी पुल वहीं है, जहाँ से मोरी निकाल कर खालसा फौजें लाल किले में दाखिल हुईं और जीत हासिल की। तीस हजारी कोर्ट वाला स्थान वही है जहाँ तीस हजार सैनिकों ने पड़ाव डाला और मुग़ल बादशाह को हराया। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री और दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि दिल्ली में मुग़ल बादशाह पर फतह हासिल करना हमारी कौम के लिए बहुत गर्व और सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि हमारे महान जनरलों ने यह साबित किया कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा रचा गया खालसा निडर और निस्वार्थ होकर जीत हासिल करने में सक्षम था, है और रहेगा। खालसा एक संपूर्ण रूप है जो गुरु साहिब के आगे झुककर अकाल पुरुष की रज़ा में राज़ी रहता है। कमेटी के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका और महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों ने कहा कि यह गुरु साहिब की कृपा है कि हम लाल किले पर ‘दिल्ली फतह दिवस’ मना रहे हैं, जहाँ से मुग़ल बादशाह हमारी कौम और मानवता के खिलाफ आदेश जारी करते थे। हमारे महान जनरलों ने मुग़ल तख्त को उखाड़ कर श्री गुरु रामदास जी के चरणों में समर्पित किया, जो आज भी बुंगा रामगढ़िया (श्री दरबार साहिब परिसर) में स्थित है। उन्होंने कहा कि हमारे जनरलों ने यह स्पष्ट कर दिया था कि हमें मुग़ल सल्तनत में कोई दिलचस्पी नहीं, बल्कि हमारा उद्देश्य केवल गुरुओं से जुड़े स्थलों की पहचान कराना है, जहाँ हम गुरुद्वारों का निर्माण कर सकें। उन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि आज हम गुरुद्वारा सीसगंज साहिब, बंगला साहिब, रकाबगंज साहिब, नानक पियाऊ आदि ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन कर पा रहे हैं। कमेटी द्वारा शुरू किए जा रहे नए प्रयासों की बात करते हुए सरदार कालका और सरदार काहलों ने बताया कि 1 जून से गुरुद्वारा बाला साहिब में ज़रूरतमंदों के लिए आंखों के मुफ्त ऑपरेशन की सुविधा शुरू की जा रही है, जिससे लोग निजी अस्पतालों में लाखों खर्च करने के बजाय मुफ्त में इलाज करवा सकेंगे। इसके अलावा वे सामूहिक विवाह की योजना भी शुरू कर रहे हैं, जो गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब परिसर के भाई लाखी शाह वंजारा हॉल में करवाए जाएंगे। साथ ही 350 रागी सिखों की एक टीम तैयार की जा रही है, जिन्हें कीर्तन दरबारों के लिए आमंत्रित किया जा सकेगा। इस अवसर पर आज निहंग सिंहों और अन्य जत्थेबंदियों द्वारा छत्ता पुल से लाल किले तक एक जर्नैली मार्च’ निकाली गई। इस मार्च में घोड़ों, हाथियों पर सवार निहंग सिंहों के साथ अन्य पंथक दलों के सदस्य भी शामिल हुए और;बोले सो निहाल, सत श्री अकाल  के जयकारों के साथ मार्च देर शाम लाल किले पर समाप्त हुआ। कार्यक्रम में दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अधिकारी, सदस्य, विभिन्नधार्मिक हस्तियाँ और बड़ी संख्या में संगत ने भाग लिया।

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