Sunday, June 15, 2025
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धीरे-धीरे अपनी ही मौत की ओर बढ़ता गया ग्रह, वैज्ञानिक हैरान

वॉशिंगटन, 20 अप्रैल (वेब वार्ता)। अमेरिका के खगोलविदों ने अंतरिक्ष में चौंकाने वाली घटना देखी है, जो एक तारे और उसके ग्रह के साथ घटित हुई। इस घटना में ग्रह धीरे-धीरे अपनी ही मौत की ओर बढ़ता गया और अंततः तारे में समा गया। यह घटना न केवल खगोलशास्त्रियों के लिए चौंकाने वाली है, बल्कि यह हमें ग्रहों के जीवन और उनके अंत को लेकर भी नए सवालों से रूबरू कराती है। यह पूरी घटना 2020 में शुरू हुई, जब वैज्ञानिकों ने 12,000 प्रकाश वर्ष दूर एक तारे को अचानक बहुत तेज चमकते हुए देखा। कुछ समय के लिए वह तारा 100 गुना ज्यादा चमकदार हो गया, लेकिन फिर अचानक धुंधला पड़ गया। वैज्ञानिकों को पहली बार यह आभास हुआ कि शायद यह तारा अपने किसी ग्रह को निगल रहा है। यह पहली बार था जब किसी तारे को इस तरह की गतिविधि
करते हुए प्रत्यक्ष रूप से देखा गया। इससे यह समझने का एक अनूठा अवसर मिला कि जब सूर्य जैसे तारे विशाल और लाल हो जाते हैं, तो उनके नजदीक के ग्रहों का क्या होता है। उस समय एमआईटी के खगोल भौतिकीविद किशलय डे ने कहा था कि यह हमारे अपने सौरमंडल का भविष्य हो सकता है। लेकिन असली तस्वीर बाद में
सामने आई, जब अमेरिका के नोयेरलेब के खगोलशास्त्री रयान लाउ और उनकी टीम ने जेम्स वेब  स्पेस टेलीस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) से उस तारे का गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि यह तारा अपेक्षाकृत छोटा और ठंडा था, जो अपने जीवन के शुरुआती चरण में था। यह इतना विशाल नहीं था कि अपने गुरुत्वाकर्षण से किसी ग्रह को निगल सके। इसका मतलब यह हुआ कि ग्रह खुद ही तारे की तरफ गिरता चला गया और अंत में उसमें समा गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस घटना में हॉट ज्यूपिटर जैसे ग्रह की भूमिका रही होगी। ये ऐसे विशाल गैसीय ग्रह होते हैं जो अपने तारों के बहुत नजदीक चक्कर लगाते हैं। इतने करीब कि उनकी सतहें धीरे-धीरे भाप बनकर उड़ती रहती हैं और वे तारे के चारों ओर एक गैसीय पूंछ बनाते हैं। लंबे समय में उनकी कक्षा सिकुड़ती जाती है और अंततः वे तारे से टकराकर खत्म हो जाते हैं। यही प्रक्रिया झेडटीएफ एसएलआरएन-2020 नामक तारे के साथ हुई प्रतीत होती है। इस ग्रह की कक्षा बुध ग्रह से भी अधिक नजदीक थी और लाखों सालों में वह तारे के वायुमंडल को छूने लगा। अंततः वह पूरी तरह से उसमें समा गया, जिससे चारों ओर ठंडी गैस का बादल बन गया। जेम्स वेब टेलीस्कोप ने इस गैस में कार्बन मोनोऑक्साइड और फॉस्फीन जैसे अणुओं की मौजूदगी दर्ज की, जो आमतौर
पर नए ग्रहों के निर्माण में देखे जाते हैं। ग्रह के नष्ट होने के बाद इन अणुओं की उपस्थिति खगोलशास्त्रियों के लिए एक नया रहस्य बन गई है।
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