Sunday, June 15, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeनई ‎दिल्लीनई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में नवनियुक्त तीन न्यायाधीशों ने ली शपथ

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में नवनियुक्त तीन न्यायाधीशों ने ली शपथ

नई दिल्ली, 30 मई । उच्चतम न्यायालय में नवनियुक्त तीन न्यायाधीशों ने शुक्रवार को

पद और गोपनीयता की शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने शीर्ष अदालत परिसर के एक

सभागार में आयोजित समारोह में न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया, न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई और

न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। उनके शपथ ग्रहण

करने के साथ ही उच्चतम न्यायालय के लिए कुल निर्धारित 34 न्यायाधीशों की संख्या पूरी हो गई।

शपथ ग्रहण समारोह में शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों के अलावा अनेक वरिष्ठ अधिवक्ता और

गणमान्य लोग मौजूद थे।

इस महीने उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम

त्रिवेदी और न्यायमूर्ति ए एस ओका के सेवानिवृत्त होने के बाद शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों के तीन

पद खाली हो गए थे।

न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की कॉलेजियम ने 26 मई 2025 को विभिन्न

उच्च न्यायालयों के तीनों मुख्य न्यायाधीशों को शीर्ष अदालत में न्यायाधीश के पद पर पदोन्नत

करने की सिफारिश की थी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की मुहर के बाद केंद्र सरकार ने गुरुवार को न्यायमूर्ति अंजारिया, न्यायमूर्ति

बिश्नोई और न्यायमूर्ति चंदुरकर को शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी।

शीर्ष अदालत के न्यायाधीश पद की शपथ लेने से पहले न्यायमूर्ति अंजारिया कर्नाटक उच्च न्यायालय

के मुख्य न्यायाधीश, जबकि न्यायमूर्ति बिश्नोई गुवाहाटी उच्च न्यायालय और न्यायमूर्ति चंदुरकर

बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर थे।

अहमदाबाद के मांडवी-कच्छ में 23 मार्च, 1965 को वकीलों के परिवार में जन्मे न्यायमूर्ति अंजारिया

ने अहमदाबाद के एच एल कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक और 1988 में सर एल ए शाह लॉ कॉलेज

से एलएलबी की उपाधि हासिल की। ​​वर्ष 1989 में यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ, अहमदाबाद से

उन्होंने कानून में स्नातकोत्तर की। ​​उनके पिता भी न्यायपालिका में थे। उन्होंने अगस्त 1988 से

वरिष्ठ अधिवक्ता एस एन शेलत के चैंबर में शामिल होकर गुजरात उच्च न्यायालय में वकालत शुरू

की। उन्होंने संवैधानिक मुद्दे और सभी श्रेणियों के सिविल मामलों, श्रम और सेवा से जुड़े मामलों में वकालत की।

उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालयों, राज्य चुनाव आयोग, गुजरात सूचना आयोग, गुजरात

औद्योगिक विकास निगम, नगर पालिकाओं आदि के लिए स्थायी/पैनल अधिवक्ता के तौर पर उन्होंने सेवाएं दीं हैं।

उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के लिए वरिष्ठ पैनल वकील, बीएसएनएल, संघ लोक सेवा

आयोग (यूपीएससी), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा

वकील (एआईसीटीई), राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा वकील (एनसीटीई) के लिए वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप

में कार्य किया है। उन्हें 21 नवंबर, 2011 को गुजरात उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के

रूप में पदोन्नत किया गया और छह सितंबर, 2013 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पुष्टि की गई।

न्यायमूर्ति अंजारिया ने 25 फरवरी, 2024 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

न्यायमूर्ति बिश्नोई का जन्म 26 मार्च, 1964 को जोधपुर में हुआ था। उन्होंने आठ जुलाई, 1989 को

अधिवक्ता के रूप में अपना पंजीकरण करवाया। उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय और जोधपुर में

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, सेवा, चुनाव मामलों आदि जैसे

कई क्षेत्रों में वकालत की। उन्होंने वर्ष 2000-2004 के दौरान केंद्र सरकार के स्थायी वकील के रूप में

भी अपनी सेवाएं दीं।

न्यायमूर्ति बिश्नोई को आठ जनवरी, 2013 को राजस्थान उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश

के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने सात जनवरी, 2015 को राजस्थान उच्च न्यायालय के

स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्होंने पांच फरवरी, 2024 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के

मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया।

न्यायमूर्ति चंदुरकर का जन्म सात अप्रैल, 1965 को हुआ था। उन्होंने पुणे के सेंट विंसेंट हाई स्कूल

से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और यहीं के नेस वाडिया कॉलेज और आईएलएस लॉ कॉलेज से

स्नातक किया। कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद वह 21 जुलाई, 1988 को बार में शामिल हो

गए। मुंबई के वरिष्ठ अधिवक्ता बी एन नाइक के मार्गदर्शन में वकालत शुरू की, जिन्हें बाद में

न्यायपालिका में पदोन्नत किया गया। न्यायमूर्ति चंदुरकर 1992 में नागपुर चले गए और विभिन्न

न्यायालयों में वकालत की और अलग-अलग प्रकृति के मामलों को सफलतापूर्वक संभाला।

उन्होंने ‘महाराष्ट्र नगर परिषद नगर पंचायत और औद्योगिक टाउनशिप अधिनियम, 1965 और

महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम, 1999’ पर दो पुस्तकें भी लिखी हैं। उन्हें 21 जून, 2013 को

बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments