इस्लामाबाद, 17 मई । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भाषणों को लेकर पूरे
देश में चर्चा है। सेना के सम्मान में ‘यौम-ए-तशक्कुर’ (धन्यवाद दिवस) पर शहबाज ने जो बोला है
उसको लेकर सोशल मीडिया पर खूब खिल्ली उड़ाई जा रही है। इस मौके पर शहबाज शरीफ ने दावा
किया कि वह फज्र (सुबह की नमाज) के बाद स्विमिंग के लिए गए थे और अपने साथ एक ‘सिक्योर
फोन’ ले गए थे, ताकि कोई जरूरी सूचना मिले तो तुरंत जवाब दिया जा सके उन्होंने कहा, ‘मैं
स्विमिंग कर रहा था, मेरे पास एक सिक्योर फोन था, और मैंने जिया को कहा कि जब घंटी बजे तो
मुझे फौरन बताना और किस्मत की बात थी, वह घंटी बजी… तो जनरल असिम मुनीर लाइन पर थे,
कहने लगे कि वजीर ए आजम (प्रधानमंत्री) बड़ा भरपूर हमने उनको जवाब दिया है और अब हमें
सीजफायर करने की दरख्वास्त आ रही है तो आपका क्या ख्याल है मैंने कहा सिपहसालार (सेना
प्रमुख) इससे बड़ी इज्जत की क्या बात हो सकती है आपने दुश्मन को एक भरपूर थप्पड़ मारा है
उसका सिर चकरा गया अब वह सीजफायर पर मजबूर है तो मैं सोचता हूं कि आप बिस्मिल्लाह करें
और इस सीजफायर के ऑफर को कबूल करें।
अब जरा इस पूरे ‘दृश्य’ की कल्पना कीजिए देश युद्ध के मुहाने पर खड़ा है, सीमा पर गोलियां चल
रही हैं, जवानों की जान जा रही है… और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री सुबह की तैराकी का आनंद ले रहे हैं
पीएम शहबाज का ये बयान सिर्फ हास्यास्पद नहीं, बल्कि देश की संप्रभुता, सैन्य रणनीति और
राजनीतिक समझदारी की भी मजाक उड़ाता है दरअसल भारत सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल
राजीव घई ने साफ बताया है कि 10 मई को शाम 5 बजे से सीमा पार गोलीबारी और हवाई घुसपैठ
बंद करने पर सहमति बनी, और यह प्रस्ताव खुद पाकिस्तानी डीजीएमओ की ओर से आया था इसके
उलट, शहबाज शरीफ के बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि सीजफायर का फैसला उनकी पहल पर
हुआ, जो वास्तविकता से मेल नहीं खाता।सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने शहबाज शरीफ के बयान
को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है एक यूजर ने लिखा, ‘क्या प्रधानमंत्री तैराकी कर रहा था जब देश
युद्ध की स्थिति में था? यह या तो दिमागी संतुलन खोने का संकेत है, या फिर जनता को बेवकूफ
बनाने की कोशिश’ दूसरे ने कहा, जनरल असिम मुनीर ने सीजफायर का फैसला नहीं लिया, यह
पाकिस्तानी डीजीएमओ की पहल थी शहबाज शरीफ झूठ बोल रहे हैं।
शहबाज का दावा कि सेना प्रमुख को उन्होंने मजबूत जवाब देने को कहा, और फिर चंद मिनटों में
सीज़फायर की पेशकश आ गई, इसमें कूटनीति की कोई सच्चाई नहीं दिखती सीज़फायर जैसे प्रस्ताव
अंतरराष्ट्रीय माध्यमों से, कई दौर की बातचीत के बाद आते हैं वो भी तब, जब जमीनी हकीकत
इसकी अनुमति दे लेकिन यहां, शहबाज शरीफ ऐसा दर्शा रहे हैं मानो युद्ध का रिमोट उनके हाथ में
हो- वो चाहें तो फौरन ‘प्ले’ या ‘पॉज’ कर सकते हैं
वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान इस वक्त गंभीर आंतरिक संकटों से गुजर रहा है… आर्थिक
दिवालियापन के कगार पर खड़ी अर्थव्यवस्था, विदेशी निवेशकों का पलायन, आईएमएफ की शर्तों पर
झुकी हुई नीतियां, और सबसे बढ़कर भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने की नाकाम कोशिशें ऐसे में
शहबाज शरीफ की यह ‘तैराकी से लेकर सीज़फायर तक’ की कहानी एक पब्लिक स्टंट से ज्यादा कुछ
नहीं लगती वह शायद यह दिखाना चाहते हैं कि वे एक मजबूत, शांतचित्त और निर्णायक नेता हैं
लेकिन हकीकत इसके उलट है… इस बयान से उनकी गैरज़िम्मेदारी और रणनीतिक अपरिपक्वता ही
उजागर होती है।

