नई दिल्ली, 13 मई (वेब वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के नाम संबोधन पर कांग्रेस नेता
संदीप दीक्षित ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सवाल किया कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने कैसे ट्वीट कर
दिया? सूचना उनको हमसे पहले पहुंची? राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि हमें दोनों देशों से ट्रेड करना है।
तो क्या उनका ट्रेड करना हमारी राष्ट्रीय जरूरतों और सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाती हैं? क्या
कल को व्यापारी हमें बताएंगे कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कब हमला करें कब न करें? संदीप
दीक्षित ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा। पाकिस्तान के दांत खट्टे किए। जो जवाब देना था
वो माकूल जवाब मिला। प्रधानमंत्री ने भी कही वो अच्छी बात है। उन्होंने भी फौज की सराहना की।
लेकिन जो अचानक सीजफायर हुआ वो मसला सामने आता है। कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने
कोई ऐसी बात नहीं कही या कोई ऐसी बात कही हो जो देश के और लोगों को न मालूम हो। सब
चीजें जो उन्होंने कहीं हैं वो पुरानी हैं। वो सब लोग जानते हैं। उन्होंने कहा कि पहली बार भारत की
विदेश नीतियों के इतिहास में कोई दूसरा देश पहले से बताता है कि हिंदुस्तान क्या करेगा। और देशों
ने पहले भी प्रभाव डाला होगा, असर डाला होगा, बात की होगी। ये तो है नहीं कि हिंदुस्तान केवल
चांद में रहता है बाकी केवल किसी और दुनिया में रहते हैं। संदीप दीक्षित ने कहा, विचारों का आदान
प्रदान होता है। लेकिन पहली बार ऐसा कि कोई तीसरा देश या चौथा देश ये दुनिया को बता दे कि
हिंदुस्तान क्या करने वाला है। इस पर उनको कोई स्पष्टीकरण देना चाहिए था। भारतीय जनता पार्टी
को ये पसंद हो न हो लेकिन हमारी संप्रभुता और हमारी विदेश नीति सन 47, 48 से नेहरू जी के
समय से कम से कम हम जैसे लोगों के लिए प्राथमिकता रही है। आपके करने से पहले अमेरिका के
राष्ट्रपति ने कैसे ट्वीट कर दिया। कम से कम सूचना उनको हमसे पहले पहुंची। कांग्रेस नेता ने कहा,
अमेरिका के राष्ट्रपति ने बहुत गंभीर बात कही है कि न्यूक्लियर वॉर हो सकती है। न्यूक्लियर वॉर
कोई सामान्य बात नहीं है। प्रधानमंत्री का कहना है कि हम न्यूक्लियर वॉर से नहीं डरते, स्वाभाविक
है नहीं डरते हैं। ये होना भी नहीं चाहिए। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि हमें दोनों देशों से ट्रेड करना है तो
क्या उनकी ट्रेड करना हमारी राष्ट्रीय जरूरतों और सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाती हैं। क्या कल
को व्यापारी हमें बताएंगे कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कब हमला करें, कब न करें?

