Sunday, December 7, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
HomeUncategorizedप्रदोष व्रत के दिन सच्चे मन से शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ...

प्रदोष व्रत के दिन सच्चे मन से शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से मनचाहे वर की प्राप्ति..

भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत 31 अगस्त को है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन सच्चे मन से शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र..
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।1।।निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।
करालं महाकालकालं कृपालं । 
गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।2।।
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं ।
मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा ।
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।3।।
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं ।
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं ।
प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ।।4।।
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं ।
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।
त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं ।
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।5।।
कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी ।
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी ।
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।6।।
न यावद् उमानाथपादारविन्दं ।
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं ।
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ।।7।।
न जानामि योगं जपं नैव पूजां ।
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।।
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं ।
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।8।।
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।9।।
शिव आवाहन मंत्र..
ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।
तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।
वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।
नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।
आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।
नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।
देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।
नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।
नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।
अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।
नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।
सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।
मंत्र…
1. नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।
2. सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: ।
दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।
3. ऊँ शन्नोदेवीर भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
4. ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्
5. ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।
6. ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
7. करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
8. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
9. सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
10. श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्रमात्रं जपेन्नरः।
दुःस्वप्नं न भवेत्तत्र सुस्वप्नमुपजायते।।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments