Sunday, June 15, 2025
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बदरीनाथ धाम में 15 मई से शुरू होगा पुष्कर कुंभ मेला, दक्षिण भारत से पहुंचेंगे आचार्य

देहरादून, 13 मई  । सरस्वती नदी के उद्गम स्थल भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम में 12 साल

बाद 15 मई से पुष्कर कुंभ मेला आयोजित होने जा रहा है। इसके लिए दक्षिण भारत से आचार्यों का

बड़ा दल बदरीनाथ धाम पहुंचेगा और यहां अनुष्ठान कर मां सरस्वती से ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करेगा।

बदरीनाथ धाम से कुछ ही दूरी पर माणा गांव के पास सरस्वती नदी का प्रवाह क्षेत्र है जो करीब एक

किलोमीटर है। दक्षिण भारतीय आचार्यों की परंपरा में यहां 12 वर्ष में एक बार पुष्कर कुंभ मेला का

आयोजन होता है। बृहस्पति ग्रह 14 मई 2025 की रात 11 बजकर 20 मिनट पर मिथुन राशि में

प्रवेश करेंगे, इसके अगले दिन से यानी 15 मई से पुष्कर कुंभ मेला शुरू हो जाएगा। यह मेला 25

मई तक चलेगा।

दक्षिण भारत के आचार्यों की मान्यता के अनुसार इस दिन पुष्कर कुंभ मेला का आयोजन कर मां

सरस्वती से ज्ञान की प्रार्थना की जाती है। इन आचार्यों की मान्यता है कि दक्षिण के शंकराचार्य

रामानुजाचार्य, माधवाचार्य और निंबा को इसी पवन स्थान पर ज्ञान प्राप्त हुआ था। यह परंपरा दक्षिण

भारत आज भी निभा रहा है।

क्या है मान्यता?

मान्यता है कि सरस्वती नदी के इस तट पर वेद व्यास ने महाभारत की रचना की। इसको लिखते

समय सरस्वती नदी की भारी गर्जना उनका ध्यान भंग करती थी। कहते हैं कि वेद व्यास की प्रार्थना

पर सरस्वती यहां स्थापित हुईं और केशव प्रयाग में विलुप्त हो गईं। इस स्थान पर श्वेत और गर्जन

तर्जन से बहती नदी दिखती है लेकिन वह कहां समा जाती हैं, यह आश्चर्य में डाल देता है। यह भी

मान्यता है कि आदि जगतगुरू शंकराचार्य को भी वेद व्यास ने यहां ज्ञान दिया था। उन्हीं परम्पराओं

के लिए दक्षिण भारत के अभी आचार्य पंडित यहां हर 12 वर्ष में पुष्कर कुंभ में पहुंचते हैं और

सरस्वती नदी के उद्गम में पुष्कर कुंभ मनाते हैं। इसके लिए बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने

आयोजन की तैयारियां पूरी कर ली हैं।

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