इंडिया गौरव ब्यूरो नई दिल्ली, 28 अप्रैल । पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में चल
रहे तनाव के बीच भारत ने सोमवार को यहां फ्रांस के साथ 63 हजार करोड़ रूपये की लागत से 26
राफेल मरीन विमानों की खरीद के अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस सौदे पर समझौते
के दौरान रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और नौसेना उप प्रमुख वाइस एडमिरल के स्वामीनाथन मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस सौदे को हाल
ही में मंजूरी दी थी। इससे पहले जुलाई 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा
खरीद परिषद ने नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन विमानों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
इन विमानों को मुख्य रूप से देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और
आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात करने के लिए खरीदा जा रहा है। इन विमानों के नौसेना के बेड़े में
शामिल होने के बाद हिन्द महासागर में नौसेना की ताकत कई गुना बढ जायेगी।
इस सौदे के तहत भारतीय नौसेना को 22 सिंगल सीट वाले और चार दो सीट वाले विमान मिलेंगे।
इन विमानों की आपूर्ति करीब तीन से पांच वर्ष में होने की संभावना है। भारत को पहला राफेल
मरीन विमान 2028 में मिलने की संभावना है।
इस सौदे में विमानों के साथ हथियार प्रणाली, सिमुलेटर और प्रशिक्षण साजो सामान भी शामिल है।
अभी नौसेना के पास रूस से खरीदे गये मिग-29 के विमान हैं जो आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात
हैं। राफेल मरीन को अपनी श्रेणी में दुनिया के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में गिना जाता है। ये
विमान फ्रांस की डसाल्ट एविएशन कंपनी द्वारा बनाये जा रहे हैं
यह विमान 50 हजार फुट की ऊंचाई पर 35 हजार किलोमीटर से भी अधिक रेंज तक उड सकता है।
यह परमाणु हथियारों से हमला करने में सक्षम है तथा समुद्री पोत को निशाना बनाकर छोटी जगह
में भी उतर सकता है। राफेल मरीन हवा से हवा में मार करने वाली पोत रोधी मिसाइल से भी लैस है।

