Saturday, December 6, 2025
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भारत पाक बटवारे के 77 वर्ष पश्चात 101 वर्षीय बहादुर चंद मदान को नागपुर से मिलने आया चचरे भाई का परिवार

मुलाकात एक सदी  कार्येकर्म  वास्तव में कैथल का एक अनोखा कार्येकर्म था..

कैथल में  व्यापारी राम मदान ने अपने  पिता के परिजनों के  भव्य स्वागत में बड़ा आयोजन..

यू  टूब  के माध्यम से पाकिस्तान से बिछड़ा  मदान परिवार  फिर से मिला..
धर्म परिवर्तन नहीं किया और बहादुर चंद  मदान के चाचा कर्म चंद  ने अपने परिवार के 27 लोगो के साथ  कुएं में छलांग लगाकर जिंदगी खत्म कर ली थी..
कर्म चंद का एक 13 वर्षीय  पुत्र  ज्ञान चंद जो अपने मामा के घर गया हुआ था वह बचकर भारत आ गया था , उसी के पांच बेटे नागपुर में कपडे के बड़े व्यापारी है..
कैथल 23  दिसम्बर 
भारत पकिस्तान  के बटवारे के समय हुई मारकाट को सुनकर अभी भी सब के रोकटे खड़े  हो जाते है। उस समय अपना धर्म न बदलने वाले लोग भारत आ गए थे और भारी  संख्या में लोग पाकिस्तान और रास्ते में  मारे गए थे। कैथल के एक  धार्मिक  एवं समाजिक  101 वर्षीय बहादुर चंद मदान के चाचा कर्म चंद  का पुत्र ज्ञान चंद के पांच बेटे जो नागपुर में बड़े कपड़ा व्यापारी है जो कैथल में उन्हें देश की  आजादी के  77 साल बाद कैथल में मिलने आये।  जंहा  बहादुर चंद मदान के बेटे राम मदान ने इस परिवार के मिलन को एक बड़े समारोह का रूप देते हुए नागपुर से आये भारत भूषण मदान  , अजय कुमारमदान  , इन्दर जीत मदान  , शिव कुमार मदान  ,मनीष मदान और उनके परिवार का भव्य स्वागत किया।  इस समारोह में शहर के गणमान्य लोग निमंत्रित थे। कैथल के 101 वर्षीय बहादुर चंद  मदान और उनके दो भाई हर भगवान , हरबंस लाल और एक बहन बंती देवी से नागपुर से आये परिवार के सदस्यों का आपसी मिलन एक ऐतिहासिक पल  थे।   बहादुर चंद  मदान ने पाकिस्तान के समय हुई दर्दनाक घटना और भारत में आकर संघर्ष पूर्ण जिंदगी की शुरुआत की  दर्दनाक कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि  उनके चाचा कर्म चंद के परिवार ने  धर्म परिवर्तन  करना मंजूर नहीं किया और अपने परिवार के 27 लोगो के साथ  कुएं में छलांग लगाकर जिंदगी खत्म कर ली थी। उस समय उनका पुत्र  ज्ञान चंद अपने  मामा के घर गया हुआ था वह जैसे तैसे अपनी जान बचाकर पाकिस्तान से भारत आ गया।  उन्होंने कहा कि  भारत में आने के पश्चात 77 वर्ष तक उन्हें अपने चचरे भाई ज्ञान चंद का कुछ पता नहीं लगा लेकिन कुछ समय पूर्व कुरुक्षेत्र के केशव मेहता ने उन का एक इंटरव्यू किया जिसे उसने यु टूब पर डाल  दिया जिसे नागपुर में रह रहे ज्ञान चाँद  पुत्र भारत भूषण मदान  ने देखा और उस ने कैथल बहादुर चंद के बेटे राम मदान से संपर्क किया।  तब राम मदान ने उन्हें कैथल  आने और अपने परिवार के बुजुर्गो से मिलने का निमंत्रण दिया।  आज जब कैथल के एक मेर्रिज पैलेस में नागपुर से आये भारत भूषण मदान उन के भाइयो और परिवार के सदस्यों का  बहादुर चंद  मदान  के  पुत्र राम मदान , परिवार के  सदस्यों और कैथल के   गणमान्य नागरिको ने फूलो की वर्षा के साथ उनका स्वागत किया।  वास्तव यह मुलाकात एक सदी  कार्येकर्म एक अनोखा समारोह था।  नागपुर  से आये मदान परिवार के सदस्य अपने कैथल के परिवार  के सदस्यों को गले मिलकर ऐसा महसूस  कर रहे थे कि जाने  उन्हें जिंदगी  अनमोल चीज मिल गई हो।  कैथल के राम मदान ने इस कार्येकर्म को मुलाकात एक सदी का नाम दिया था और यह  कार्येकम किसी बड़ी और भव्य शादी समारोह से काम दिखाई दे रहा था।  समारोह  एक मंच पर 101 वर्षीय बहादुर चंद  मदान और उनके दो भाई हर भगवान , हरबंस लाल और एक बहन बंती देवी को सम्मानजनक बिठाया गया था जंहा नागपुर से आये भारत भूषण मदान और उनके  भाइयो और परिवार के सदस्यों ने अपने कैथल में मदान परिवार के बुजुर्गो का शॉल देकर मुँह मिठाया करवाया और उनके चरण छू कर आशीर्वाद लिया।  उस समय  पूरा पंडाल तालियों से गूंज उठा और डी  जे पर पुनर्मिलन के गीत बजाये गए जिस पर पुरे मदान परिवार के सभी सदस्य मस्ती  झूमने लगे।  इस अवसर पर मदान परिवार  बुजुर्गो से केक कटवाया गया और पुरे मदान  परिवार का एक सामूहिक चित्र लिया गया।  
नागपुर से कैथल अपने बुजुर्गो को मिलने  आये भारत भूषण मदान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह एक ऐतिहासिक  मिलन है जो  परिवार के बिछड़ने के 77 साल  बाद हुआ। उन्होंने कहा  कि यह हमारी जिंदगी के बेहद अनोखे पल है और हमारी ख़ुशी को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।  उन्होंने बताया कि उनके दादा कर्म चंद ने भारत पाक बटवारे के समय इस्लाम काबुल नहीं किया बल्कि अपने परिवार के 27  सदस्यों सहित कुए में छलांग लगाकर अपनी जान दे दी थी।  उन्होंने कहा कि हमारे बुजर्गो ने अपने हिन्दू धर्म की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किये जिस का उन्हें गर्व है।  उन्होंने बताया की उन के पिता ज्ञान चंद भारत पाक बटवारे के समय मात्र 13 वर्ष के थे और वह उस समय अपने मामा के घर गए हुए थे , वह अपनी जान बचाकर भारत आ गए और रोहतक में रहकर मेहनत मजदूरी करनी शुरू की और  शिक्षा भी ग्रहण की। उन्होंने बताया कि हम पांच भाई और एक बहन है और हम बाद में  नागपुर जा कर बस गए  , उन्होंने बताया की हम पॉंचो भाई इकट्ठे कपडे का थोक  व्यापार करते है।  उन्होंने कहा कि आज हम  कैथल के अपने मदान परिवार और कैथल के गणमान्य व्यक्तियों से मिलकर बहुत खुश है और कैथल में उनका जिस प्रकार भव्य स्वागत किया गया उस के लिए वह दिल से आभार व्यक्त करते है।  उन्होंने कहा कि  मदान  परिवार का यह मिलन एक उदहारण बनेगा।  
 101 वर्षीय बहादुर चंद मदान के पुत्र राम मदान और भांजे सुभाष  चुग ने कहा कि आज हम बाहर खुश है कि हमारे बुजुर्गो को उनके  बिछड़े हुए परिवार के सदस्य मिले है।  उन्होंने कहा कि 77 वर्ष से उन्हें अपने परिवार के सदस्यों की जानकारी नहीं थी लेकिन यु टूब पर कुरुक्षेत्र के केशव मेहता पर  बहादुर चंद मदान से भारत पाक बटवारे की  दर्दनाक कहानी रिकॉर्ड करके यु टुब पर डाल  दी जिसे नागपुर में हमारे परिवार के सदस्य भारत भूषण मदान ने देखा तो फ़ोन पर बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ और आज यह ऐतिहासिक मिलन  मुलाकात एक सदी  कार्येकर्म   के रूप में आयोजित किया गया।  उन्होंने इस समरोह में आने वाले कैथल के गणमान्य लोगो का भी धन्यवाद किया। 

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