Sunday, June 15, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
HomeUncategorizedभारत-पाक युद्ध का मतलब तबाही होगा : पीडीपी

भारत-पाक युद्ध का मतलब तबाही होगा : पीडीपी

श्रीनगर, 16 मई (वेब वार्ता)। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान

के बीच युद्ध का अब कोई विकल्प नहीं रह गया है, क्योंकि यह दोनों पड़ोसी देशों के लिए तबाही

का कारण बनेगा।

पीडीपी ने अपनी मासिक पत्रिका ‘स्पीक अप’ में कहा, ‘‘अब युद्ध कोई विकल्प नहीं है। यदि नेतृत्व

समय रहते नहीं संभला तो यह दोनों देशों के लिए तबाही का कारण बनेगा। यह समय विजय उत्सव

मनाने का नहीं, बल्कि संयम बरतने, तनाव कम करने और संवाद स्थापित करने का है।’’

पीडीपी ने बीते दो सप्ताह की घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस महीने के कुछ भयावह

दिनों में दोनों देश विनाश के कगार पर पहुंच गए थे।

पार्टी ने सवाल किया, ‘‘मिसाइल दागे गए, ड्रोन सीमा पार उड़ते रहे और नियंत्रण रेखा के किनारे बसे

गांवों में दहशत का माहौल रहा। यह केवल मुठभेड़ नहीं थी, बल्कि पूर्ण युद्ध की आहट थी। दोनों

ओर आम नागरिक इसकी कीमत चुका रहे थे। बच्चे मारे गए, परिवार पलायन कर गए, खेत रातों-

रात सैन्य चौकियों में बदल गए और यह सब क्यों?’’

पार्टी ने कहा कि इस तनाव का उद्देश्य आतंकवाद का बदला लेना और संप्रभुता की रक्षा करना

बताया गया, लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोग एक बार फिर इस संघर्ष के बीच पिसते रहे।

पार्टी ने कहा, ‘‘हमें बताया गया कि आतंकवाद का बदला लेने, संदेश देने और संप्रभुता की रक्षा के

लिए यह कदम उठाया गया। लेकिन जब परमाणु का दांव लगा है तो संप्रभुता की भी सीमाएं होती

हैं। एक बार फिर सत्ता में बैठे लोगों की महत्वाकांक्षाओं और भौगोलिक त्रासदी के बीच जम्मू-कश्मीर

की आवाम फंस गयी।

पीडीपी ने कहा कि यह मायने नहीं रख रहा था कि दशकों की पीड़ा झेल रहे आम लोग शांति की

गुहार लगा रहे थे।

पार्टी ने कहा, ‘‘चारों ओर केवल युद्धोन्माद था, विवेक नहीं और जैसे-जैसे युद्ध की आवाजें तेज

होती गईं, वैसे-वैसे झूठी जानकारियों की बाढ़ भी आती गई। टेलीविजन स्टूडियो बैरक बन गए,

सोशल मीडिया युद्ध का मैदान। जनता के बीच जंगल की आग की तरह अपुष्ट वीडियो, उग्र

राष्ट्रवादी हैशटैग और सुनियोजित आक्रोश फैल गया।’’

पीडीपी ने आरोप लगाया कि इस प्रचार युद्ध में सच्चाई सबसे पहले बलि चढ़ गई और यह लोगों के

मन को जीतने, असहमति को दबाने और चुनावी लाभ पाने का साधन बन गया।

पार्टी ने कहा, ‘‘जब युद्ध चुनावी नारा बन जाता है, तो वह रक्षा नहीं, तमाशा बन जाता है। भारत

और पाकिस्तान दोनों के पास हथियारों का जखीरा है, लेकिन सबसे पहले और सबसे ज़्यादा नुकसान

हमेशा गरीबों और सीमावर्ती इलाकों के लोगों को ही होता है। चुनावी मतपत्र कभी गोलियों का

विकल्प नहीं बनने चाहिए, न ही उन्हें ऐसा बहाना बनने देना चाहिए कि पीढ़ियों तक उसकी आग बुझानी पड़े।

पार्टी ने कहा, ‘‘तीन से चार दिनों तक मौत और तबाही के मंजर के बाद आखिरकार संघर्षविराम हुआ

और लोगों ने राहत की सांस ली। लेकिन यह उन टेलीविजन स्टूडियो के ‘युद्ध प्रेमियों’ को रास नहीं

आया, जो अब भी खून के प्यासे हैं।’’

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments