Monday, December 29, 2025
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मनुष्य का समाज में योगदान ही उसके जीवन को सार्थक बनाता है : राजीव आर्य

बोले : सामाजिक कार्यों में बढ़-चढक़र भाग लेना हमारी नैतिक जिम्मेदारी.. 
कैथल, 18 फरवरी (विकास कुमार) :  युवा भाकियू प्रदेशाध्यक्ष हरियाणा राजीव आर्य ढांड ने कहा कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, और समाज में उसका योगदान ही उसके जीवन को सार्थक बनाता है। धार्मिक और सामाजिक कार्यों में बढ़-चढक़र भाग लेना हमारी नैतिक जिम्मेदारी होती है। इन कार्यों से न केवल समाज का कल्याण होता है, बल्कि व्यक्ति को आत्मिक शांति और संतोष भी प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि धार्मिक और सामाजिक कार्यों में संलग्न होने से व्यक्ति में परोपकार की भावना विकसित होती है। यह कार्य हमें न केवल आत्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि समाज के प्रति हमारे दायित्वों की पूर्ति भी कराते हैं। कस्बे में अपने कार्यालय में बातचीत करते हुए किसान नेता राजीव आर्य ने कहा कि जब हम जरूरतमंदों की सहायता करते हैं या गौसेवा में योगदान देते हैं, तो हम ईश्वर की कृपा के पात्र बनते हैं। सेवा, दान और परोपकार से समाज में प्रेम और सद्भाव का वातावरण बनता है। हमें सदैव ऐसे कार्यों में बढ़-चढक़र भाग लेना चाहिए और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। यही मानव जीवन की सच्ची सार्थकता है। किसान नेता राजीव आर्य ढांड ने कहा कि गौसेवा भारतीय संस्कृति और धर्म का अभिन्न हिस्सा है। गौशालाओं में आर्थिक सहयोग देना, गाय माता की देखभाल करना और उनके संरक्षण हेतु प्रयास करना हमारी प्राचीन परंपराओं का हिस्सा रहा है। गाय को माता का दर्जा दिया गया है क्योंकि वह हमें दूध और कई उपयोगी उत्पाद प्रदान करती है। इसलिए गौशालाओं में सेवा करना पुण्य का कार्य माना जाता है। इसके अतिरिक्त, जरूरतमंदों की सहायता करना भी हमारा कर्तव्य है। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और शिक्षा उपलब्ध करवाना, बीमारों की सेवा करना और समाज के कमजोर वर्गों की सहायता करना मानवीय संवेदनाओं का प्रतीक है। राजीव आर्य ने कहा कि धार्मिक आयोजनों में सेवा देना भी पुण्य का कार्य है। ऐसे कार्यों से व्यक्ति में धार्मिक आस्था बढ़ती है और वह अच्छे कर्मों की ओर प्रेरित होता है। समाज में सद्भाव, भाईचारा और प्रेम की भावना को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक सेवा कार्यों में भाग लेना आवश्यक है। सेवा का भाव ही सच्ची मानवता का प्रतीक है, और यही हमारे जीवन का वास्तविक उद्देश्य होना चाहिए।
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