Saturday, December 6, 2025
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मुख से लिया प्रभु का नाम और हाथ से दिया दान कभी नहीं जाता व्यर्थ: संत छविराम दास

इंडिया गौरव, राहुल सीवन 22 मई । संत छविराम दास जी महाराज ने भक्तों को धर्म और सेवा का मार्ग बताते हुए कहा कि जो व्यक्ति ईश्वर का नाम सच्चे दिल से जपता है और दान पुण्य करता है, उसका जीवन कभी व्यर्थ नहीं जाता। उन्होंने कहा कि यह संसार क्षणभंगुर है, परंतु प्रभु का नाम और सेवा कार्य सदा अमर रहते हैं। संत जी ने समझाया कि जैसे बीज बोने से वृक्ष फलता है, वैसे ही दान और नाम-स्मरण से आत्मा को शांति मिलती है।उन्होंने बताया कि यदि जीवन में सच्चा सुख चाहिए तो प्रभु का स्मरण और परोपकार की भावना रखना जरूरी है।संत छविराम दास जी ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वे व्यर्थ की गतिविधियों में समय गंवाने की बजाय धर्म और सेवा से जुड़ें।संत जी ने कहा कि दान केवल पैसा का नहीं होता, समय, ज्ञान और श्रम का दान भी ईश्वर को प्रिय होता है।उन्होंने कहा कि जहां सच्चे दिल से सेवा होती है, वहां ईश्वर स्वयं निवास करते हैं।संत जी ने बताया कि जो व्यक्ति प्रभु का नाम लेते हुए निस्वार्थ भाव से दान करता है, उसका कल्याण निश्चित है।उन्होंने धर्मग्रंथों के उदाहरण देते हुए कहा कि अनेक राजा-महाराजा भी प्रभु भक्ति और दान के कारण ही अमर हुए।संत जी ने कहा कि दान का मूल्य उसकी भावना से होता है, न कि उसकी मात्रा से। भक्तों की भीड़ ने ‘जय श्री राम’ और ‘संत छविराम दास जी की जय’ के नारों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।कार्यक्रम में भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालु झूमते नजर आए। संत जी ने कहा कि जिस घर में प्रभु का नाम लिया जाता है, वहां दुख और दरिद्रता नहीं ठहरती। उन्होंने कहा कि यदि जीवन को सफल बनाना है तो ईश्वर का नाम और परमार्थ का काम करते रहो।उन्होंने कहा कि प्रभु का नाम लेना और दान करना आत्मा को शुद्ध करता है।कार्यक्रम का आयोजन बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ किया गया।समापन पर संत जी ने सभी को धर्म मार्ग पर चलने और सेवा को जीवन का आधार बनाने की प्रेरणा दी।भक्तों ने संत जी के वचनों को जीवन में उतारने का संकल्प लिया।संत छविराम दास जी की वाणी ने भक्तों को आत्मिक बल और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। धार्मिक कार्यक्रम के समापन पर आरती की गई वह खीर व हलवे का प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर संतोष, रिंपी, शुभम, जीवन, गगन, निशिका, समर्थ आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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