इंडिया गौरव ब्यूरो ढांड, 01 मई : आज केंद्रीय ट्रेड यूनियन ए.आई.यू.टी.यू.सी. ने अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर एक मई को पार्टी कार्यालय ढांड में जनसभा की जिसकी अध्यक्षता यूनियन के जिला सचिव विनोद शाक्य ने की और संचालन यूनियन के उपप्रधान शीशपाल ने किया। इस सभा के वक्ता एस.यू.सी.आई. (कम्युनिस्ट) के जिला सचिव कामरेड राजकुमार सारसा व आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के राज्य उपप्रधान कामरेड बाबू राम रहे। सबसे पहले मई के शहीदों को श्रदा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। यूनियन कार्यालय से शुरु कर पंचमुखी चौक तक प्रदर्शन किया गया। सभी वक्ताओं ने कहा कि सन् 1886 में अमेरिका के शिकागो शहर में पहली मई से 4 मई तक 8 घंटे काम की मांग पर व्यापक पैमाने पर मजदूरों का रोष प्रदर्शन जारी रहा। शासक वर्ग लाठी-गोली चलाकर बेइंतहा जुल्म ढाहकर भी उस रोष प्रदर्शन को दबा नहीं पाए। पुलिस की गोली से 10 मजदूरों ने मौत को गले लगाया, कई मजदूर घायल हुए। 1889 में दूसरे अंतर्राष्ट्रीय (अंतर्राष्ट्रीय मजदूर संघ) के स्थापना सम्मेलन में महान नेता ऐंगल्स के नेतृत्व में पहली मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर एकजुटता दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान हुआ। सन् 1890 में पहली मई को विभिन्न देशों में लाखों मजदूर 8 घंटे के कार्य दिवस पर शामिल हुए। 1771 में इंग्लैंड में टोपी बनाने वाले मजदूरों की यूनियन गठित हुई थी। 1862 में भारत के हाबड़ा में रेल मजदूरों ने 8 घंटे की मांग पर हड़ताल की थी जिसमें एक हजार से अधिक श्रमिकों ने भाग लिया था। भारत के कलकत्ता में चटकल मजदूरों को लेकर श्रमजीवी संघ नामक पहला मजदूर संगठन 7 अगसत 1870 को गठित हुआ था। 1871 में फ्रांस के मजदूरों ने पेरिस कम्यून कायम करके एक युगांतरकारी घटना रच डाली। आखिरकार देश-देश के मजदूरों ने 8 घंटे की मांग को आंदोलन के बल पर मालिकों से मनवा लिया, लेकिन मजदूरों ने कुर्बानी देकर जो अधिकार हासिल किए थे। हड़ताल करने, यूनियन बनाने, धरना-प्रदर्शन करने आज केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार एक-एक छिन रही हैं। 8 घंटे के कार्य दिवस को 12 घंटे किया जा रहा है। मु_ी भर पूंजीपति वर्ग के स्वार्थ में ज्यादा से ज्यादा मुनाफे को बरकरार रखने के लिए मजदूर-करमचारी विरोधी नीतियों को लागू किया जा रहा है। 29 लेबर कानूनों को खत्म कर चार लेबर कोड लागू कर रहे हैं। जिससे मालिकों को जहां 300 से कम मजदूर काम करेंगे वहां मालिकों को अधिकार रहेगा मजदूरों को कभी भी काम से निकाल बाहर किया जा सकता है। जबकि 90 प्रतिशत कारखानों में 300 से कम मजदूर काम कर रहे हैं। 50 मजदूर जहां काम करेंगे वहां पर कोई लेबर कानून लागू नहीं होगा। आज लाखों कारखाने बंद पड़े हैं, ले आफ छंटनी, तालाबंदी जारी है। करोड़ों नौजवान युवा-मजदूर काम की तलाश में सडक़ों पर ठोकरें खाने को मजबूर हैं। आए दिन महंगाई का बोझ कभी खाने-पीने की चीजों के रेट, रसोई गैस, बिजली के रेट, टोल-टैकस, पैट्रोल-डीजल के रेट व जीएसटी लगाकर आम जनता का कचूमर निकाला जा रहा है। आने वाली 20 मई की देशव्यापी हड़ताल में ए.आई.यू.टी.यू.सी. बढ़-चढक़र हिस्सा लेंगे।
यूनियन ने कस्बे में सडक़ों पर उतरकर पंचमुखी चौक पर प्रदर्शन कर रोष जताया
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