नई दिल्ली, 14 मई । लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद के निचले सदन के
नामकरण की घोषणा के 71 साल पूरा होने के मौके पर बुधवार को कहा कि यह केवल एक सदन
नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के माध्यम से इस बात का
उल्लेख किया कि 14 मई, 1954 को तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जी.वी. मावलंकर ने यह
ऐतिहासिक घोषणा की थी कि ‘हाउस ऑफ द पीपुल’ को अब ‘लोकसभा’ के नाम से जाना जाएगा।
बिरला ने कहा,‘‘लोकसभा, संविधान के प्रति निष्ठा, जनता की आकांक्षाओं और राष्ट्रहित में लिये गए
निर्णयों की सजीव संस्था है। देश की नीतियों की दिशा, जनहित के विधानों का निर्माण और
लोकतांत्रिक विमर्श की सबसे प्रामाणिक भूमि यही लोकसभा है। यह वह मंच है जहां भारत की
विविधता एकता में बदलती है, और जहां हर नागरिक की आवाज, विचार और अधिकार को
प्रतिनिधित्व मिलता है।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोकसभा केवल एक सदन नहीं, बल्कि
भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘इस दिन को याद करना भारत की लोकतांत्रिक परंपरा के प्रति आदर भाव
व्यक्त करना है।’’ बिरला ने एक अन्य पोस्ट में न्यायमूर्ति बी आर गवई के प्रधान न्यायाधीश के रूप
में शपथ लेने पर उन्हें शुभकामनाएं दीं। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘आज भारत के 52वें प्रधान
न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई जी के राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण
समारोह में सम्मिलित हुआ। न्यायमूर्ति बीआर गवई जी को उनके नए कार्यकाल के लिए हार्दिक
शुभकामनाएं एवं सफल कार्यावधि की मंगलकामनाएं।’’

