Sunday, June 15, 2025
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विश्व का चौधरी बनने के चक्कर में ट्रंप करा रहे अमेरिका की फजीहत

वाशिंगटन, 28 मई (वेब वार्ता)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बात बात पर दूसरे देशों के मामलें

देखल देकर खुद चौधरी बनने की फिराक में हैं। लेकिन उनका बार बार बयान बदलना अपनी बात से

मुकराना दुनियाभर में उनकी फजीहत करा रहा है। कभी जिन डोनाल्ड ट्रम्प और नरेंद्र मोदी की

दोस्ती के चर्चे थे, आज उनकी संवादहीनता का असर अमरीका और भारत के रिश्तों पर साफ दिख

रहा है। बेशक ट्रम्प के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद मोदी अमरीका गए। वहां दोनों में बात भी

हुई। संभव है, पहलगाम हमले के बाद और ‘ऑप्रेशन सिंदूर’ के बीच भी दोनों में बात हुई हो, लेकिन

ट्रम्प के दूसरे राष्ट्रपति काल में भारत के प्रति अमरीका का व्यवहार एकदम बदला हुआ दिख रहा है।

भारत में पाक प्रायोजित आतंकी हमलों के सबूत भी अमरीका समेत विश्व समुदाय को समय-समय

पर दिए जाते रहे हैं। इसके बावजूद हालिया सैन्य टकराव में व्यापार बंद करने की धमकी दे कर

संघर्ष विराम कराने का दावा करते हुए ट्रम्प ने जिस भारत और पाकिस्तान तथा उनके नेतृत्व को

समान रूप से ‘महान’ बताया, वह कूटनीतिक मर्यादा और प्राकृतिक न्याय, दोनों के विपरीत है। उधर

पाकिस्तान की खनिज सम्पदा के दोहन के लिए भी अमरीका लगातार प्रयासरत है। विश्व के सबसे

पुराने लोकतंत्र अमरीका की सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के मुकाबले आतंकवादी देश पाकिस्तान पर

मेहरबानी के कारण समझने के बावजूद मित्रता खुशफहमी हमारी समझदारी नहीं। ट्रम्प की

अवसरवादी कूटनीति से सही सबक ले कर भारत को भी अपनी रणनीतिक प्राथमिकताएं नए सिरे से

तय करनी चाहिएं। भारत-पाक के बीच सैन्य टकराव में अचानक संघर्ष विराम कराने और उसमें

व्यापार रोकने की धमकी की भूमिका जैसे ट्रम्प के दावे इस बदलाव की पराकाष्ठा हैं। यह बहस का

विषय है कि 2 देशों के बीच रिश्तों में शासनाध्यक्षों की मित्रता की कोई भूमिका रहती भी है या फिर

देशों के हित ही निर्णायक होते हैं? लेकिन ट्रम्प और मोदी, दोनों ही मित्रता का प्रदर्शन करने से कभी

चूके नहीं। इसलिए अमरीका का बदला हुआ रुख कई असहज और गंभीर सवाल खड़े करता है।

आतंकवाद का पालन-पोषण करने वाले पाकिस्तान और उससे पीड़ित भारत, दोनों को ट्रम्प ने जिस

तरह ‘महान देश’ बताते हुए एक ही श्रेणी में रखा, वह आपत्तिजनक है। इसका दक्षिण एशिया में

शांति और शक्ति संतुलन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। तीसरे पक्ष की भूमिका से भारत के

इंकार के जगजाहिर स्टैंड के बावजूद ट्रम्प ने कश्मीर विवाद में मध्यस्थता का राग भी अलापा।

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