
जनता को छोटी सरकार से आस अब होंगे विकास कार्य
इंडिया गौरव, राहुल सीवन । सीवन को नगर पालिका का दर्जा मिले करीब चार वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अब भी यहां विकास केवल कागजों तक सीमित है। शहर की हालत किसी पिछड़े गांव से भी बदतर नजर आती है। तालाबों की सफाई वर्षों से नहीं हुई, जिससे बदबू और गंदगी का अंबार लगा है। स्ट्रीट लाइट्स गायब हैं, जिससे रात्रि के समय अंधकार में अपराध का खतरा बढ़ जाता है। न तो सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और न ही बस स्टैंड की कोई व्यवस्था है। शहर में आज तक कोई बाईपास नहीं बना जिससे भारी वाहनों की आवाजाही से जाम और दुर्घटनाएं आम बात हो गई हैं। युवाओं के लिए सरकारी कॉलेज तक की सुविधा नहीं है, जिससे उन्हें बाहर के शहरों की ओर रुख करना पड़ता है। विकास के नाम पर टैक्स पर टैक्स वसूला जा रहा है, नोटिस पर नोटिस थमाए जा रहे हैं, लेकिन सुविधाएं शून्य हैं। लोगों को पेयजल, साफ-सफाई, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सेवाएं भी समय पर नहीं मिल रही हैं।
नगर पालिका के नाम पर सिर्फ बोर्ड बदल गया, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं बदला। कई लोगों का कहना है कि हम तो गांव में बेहतर थे, कम से कम तालाबों की सफाई हो जाती थी, गंदगी नहीं फैलती थी। यहां तो शहर के नाम पर सिर्फ धोखा है। ऐसा लगता है मानो सीवन ने विकास का मुंह ही नहीं देखा। जनता आज अपने आपसे सवाल कर रही है — क्या नगर पालिका का दर्जा सिर्फ टैक्स वसूली के लिए मिला था?
कई लोगों का कहना है कि पिछले 4 वर्षों से नगर पालिका सवालों के घेरे में है।
चार वर्षों में सीवन को मिला सिर्फ शहर का दर्जा, विकास नहीं।
टैक्स वसूली जोरों पर, लेकिन सुविधाएं नदारद हैं।
शहर में न बस स्टैंड है।
सीसीटीवी और स्ट्रीट लाइट्स भी नहीं है।
तालाबों की दुर्दशा देख ग्रामीण जीवन बेहतर लगने लगा है।
जनता पूछ रही है — “नगर पालिका आखिर कर क्या रही है?”
सिर्फ नोटिस भेजने से शहर नहीं संवरता।
अब वक्त है कि जवाबदेही तय हो।
छोटी सरकार से आस: अब कुछ बदलेगा क्या?
सीवन नगर पालिका के चुनाव को लगभग दो माह हो चुके हैं। पार्षदों और चेयरमैन की नई टीम से जनता को अब उम्मीद बंधी है। नगर पालिका को छोटी सरकार कहा जाता है और लोग चाहते हैं कि यह सरकार उनकी बुनियादी जरूरतों को समझे और हल करे।जनता की अपेक्षा है कि नई टीम सीसीटीवी, स्ट्रीट लाइट, सफाई व्यवस्था, तालाब सौंदर्यीकरण, बस स्टैंड, सरकारी कॉलेज और बाईपास जैसी समस्याओं पर प्राथमिकता से काम शुरू करे।
अब देखना होगा कि यह छोटी सरकार वाकई जनता की उम्मीदों पर खरी उतरती है या बीते चार वर्षों की तरह सिर्फ वायदे और योजनाओं में ही सीमित रह जाएगी।

