सोमवती अमावस्या का दिन पितरों की शांति और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने का दिन है। पितृ दोष. श्राद्ध या किसी भी अनसुलझे पारिवारिक मामलों के समाधान के लिए सोमवती अमावस्या महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा की जाती है।उपवास और व्रत: इस दिन व्रत करने वाले दिन भर उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। सोमवार को अमावस्या होने के कारण विशेष पूजा विधियों और व्रत नियमों का पालन किया जाता है..
दान.पुण्य: सोमवती अमावस्या पर दान-पुण्य और गरीबों की सहायता करने का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों को शांति मिलती है..
पूजा विधि. सुबह उठकर सबसे पहले स्नान कर शुद्धता प्राप्त करें।मंत्र जाप: घर के पूजा स्थल पर भगवान शिव और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। यह मंत्र विशेष रूप से लाभकारी हैं..
ॐ महादेवाय नमः
ॐ श्री लक्ष्मयै नमःअर्चना: भगवान शिव और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करें, उन्हें पुष्प, दीपक और दूध से बनी मिठाई अर्पित करें।यदि परिवार में कोई विशेष पितृ दोष है तो इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करें..


