नई दिल्ली, 08 जून। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने एक बड़े
निर्यात घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस मामले में आरोपी कारोबारी अंगद पाल सिंह को गिरफ्तार
किया गया है। पुलिस ने यह गिरफ्तारी 30.47 करोड़ रुपए के निर्यात धोखाधड़ी मामले में की है।
इसमें फर्जी विदेशी रेमिटेंस सर्टिफिकेट्स (एफआईआरसी) का इस्तेमाल किया गया था। आरोपी को
अंगद पाल सिंह अमेरिका से निर्वासित कर भारत भेजा गया। इसके बाद 2 जून को उसे हिरासत में लिया गया।
जांच के अनुसार, अंगद पाल सिंह ने अपने पिता व भाई के साथ मिलकर पांच कंपनियों का संचालन
किया। इन कंपनियों के माध्यम से यह घोटाला अंजाम दिया है। पुलिस के मुताबिक, उन्होंने वर्ष
2013 से 2015 के बीच 467 फर्जी FIRC बैंक को सौंपे। इसके बाद ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स के रूप में
भारी लाभ लिया।
पुलिस के मुताबिक, इस पूरे घोटाले का खुलासा तब हुआ जब एक निजी बैंक ने वर्ष 2017 में पुलिस
से शिकायत की। बैंक ने बताया कि आरोपी द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों के आधार पर उन्हें
करोड़ों की विदेशी रेमिटेंस दिखाई गई थी जो बाद में फर्जी निकली। बैंक ने इन दस्तावेजों के आधार
पर बैंक रियलाइजेशन सर्टिफिकेट (बीआरसी) जारी किए थे। इनका उपयोग ड्यूटी ड्रॉबैक व स्क्रिप्स
लाभ लेने में किया गया। सभी फर्जी एफआईआरसी एक ही स्थान, भिकाजी कामा प्लेस स्थित एक
बैंक से जारी दिखाए गए थे। इससे मामला और भी संदिग्ध बन गया।
पुलिस जांच में सामने आया कि बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से कई फर्जी बैंक खाते खोले गए।
इसके बाद उन्हीं खातों के जरिए इतने बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया। दिल्ली पुलिस की आर्थिक
अपराध शाखा के डीसीपी विक्रम पोरवाल के मुताबिक, अंगद पाल सिंह और उसके परिवार ने मिलकर
फर्जी दस्तावेज बनवाए और उन्हें बैंक के माध्यम से पेश कर ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स में 30.47 करोड़
रुपये का लाभ लिया। इसे बाद में ओपन मार्केट में बेचा गया। पुलिस अब इस घोटाले से जुड़े अन्य
सभी सहयोगियों और बैंक कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच करने में जुटी है। आरोपियों के देश
छोड़ने से पहले उन्होंने दस्तावेजों को इतनी सफाई से तैयार किया था कि पहली नजर में धोखाधड़ी
पकड़ में नहीं आई। अब इस मामले की विस्तृत जांच चल रही है।