हैदराबाद, 01 मई । तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र
सरकार को जाति आधारित जनगणना के लिए हितधारकों और अन्य लोगों के साथ बातचीत करने के
लिए केंद्रीय मंत्रियों का एक समूह और अधिकारियों की एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करनी चाहिए।
रेड्डी ने यहां मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार
को सामान्य जनगणना के साथ जाति गणना कराने के फैसले के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि
तेलंगाना मॉडल का पूरे देश में अनुकरण किया जा सकता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि केंद्र
सरकार समय-सीमा के साथ जाति आधारित जनगणना करने से पहले सभी राजनीतिक दलों और
नागरिक समाज के साथ चर्चा करे।
रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना में जातिओं का सर्वेक्षण राज्य के मंत्रियों के एक समूह द्वारा हितधारकों
के साथ कई परामर्श के बाद शुरू किया गया था और अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्य
सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए।
रेवंत रेड्डी ने कहा, ‘‘मेरे पास नरेन्द्र मोदी या केंद्र सरकार के लिए एक सुझाव है। पहले मंत्रियों का
एक समूह और अधिकारियों के साथ एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाए। यह मंत्री समूह और विशेषज्ञ
समिति हर राज्य में जाएंगे और राज्य सरकारों के साथ चर्चा करके उनसे सुझाव लेंगे।’’ उन्होंने कहा
कि तेलंगाना सरकार इस मुद्दे पर पूरा सहयोग करेगी और वह केंद्र के साथ अपने अनुभव और
चुनौतियों को साझा करने को तैयार है।
उनके अनुसार तेलंगाना के अनुभव के अनुसार देश भर में जाति आधारित जनगणना की संपूर्ण
प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक वर्ष पर्याप्त है। केंद्र सरकार ने बुधवार को एक बड़े फैसले में
आगामी जनगणना प्रक्रिया में ‘पारदर्शी’ तरीके से जाति गणना को शामिल करने का फैसला किया।
रेड्डी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का हवाला देते हुए कहा कि विपक्ष के नेता ने अपनी भारत जोड़ो
यात्रा के दौरान जाति आधारित गणना का वादा किया था। राहुल ने केंद्र को जाति जनगणना के लिए
तेलंगाना को रोल मॉडल के रूप में लेने का सुझाव दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘तेलंगाना मॉडल हर राज्य के लिए प्रभावी होगा। हम किसी पर हावी होने की कोशिश
नहीं कर रहे हैं। अगर आप तेलंगाना मॉडल से सीखते हैं तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। हम सहयोग
करने के लिए तैयार हैं।’’
जातिगत गणना कराने के केंद्र के फैसले के पीछे कोई राजनीतिक मकसद होने या नहीं होने पर
टिप्पणी करने से इनकार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आखिरकार देश के एससी, एसटी, ओबीसी
समुदायों और अल्पसंख्यकों को इसका फल मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि तेलंगाना कांग्रेस ने
दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया था और मांग की थी कि ‘केंद्र सरकार जाति जनगणना के लिए सहमत हो।
एक सवाल के जवाब में रेड्डी ने कहा कि चूंकि राजग पिछले लोकसभा चुनाव में 400 सीट नहीं
जीत सका, इसलिए वे आरक्षण को खत्म करने के लिए संविधान बदलने की हिम्मत नहीं कर सकते।
उनके अनुसार पहले जाति जनगणना के खिलाफ रहे सत्तारूढ़ राजग को ‘राजनीतिक मजबूरी’ के
कारण इसे अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
माओवादियों के साथ युद्ध विराम और शांति वार्ता की वकालत करने वाले बुद्धिजीवियों के एक
समूह के प्रस्ताव पर रेवंत रेड्डी ने कहा कि उनकी पार्टी और सरकार राज्य या कुछ समूहों द्वारा
हिंसा के खिलाफ है।
रेड्डी ने कहा, ‘‘कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए। बातचीत होनी चाहिए। हमारा मानना है कि बातचीत
से किसी भी समस्या का समाधान निकलेगा।’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के
साथ उचित विचार-विमर्श के बाद इस मुद्दे पर आधिकारिक रुख अपनाया जाएगा।