लैब से लैंड पर जाकर किसानों से संवाद नई क्रांति की शुरुआत करेगा : सीएम योगी
लखनऊ, 29 मई । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लैब,
आईसीआर, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र और अन्य संस्थानों में कार्यरत वैज्ञानिक पहली
बार लैंड पर जाकर किसानों के साथ कृषि की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए कार्य करेंगे।
‘विकसित कृषि संकल्प’ अभियान का उद्देश्य लैब से लैंड तक जाना है। कृषि वैज्ञानिक लैब के साथ
ही लैंड पर भी जाएंगे और किसानों से संवाद करेंगे। यह संवाद कृषि क्षेत्र में नई क्रांति की शुरुआत
करेगा। लैब में जो भी काम हो रहे हैं, वह धरातल पर दिखना चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का यूपी में शुभारंभ
किया। यह अभियान 29 मई से 12 जून तक चलेगा। इस अभियान के लिए सीएम ने प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति आभार जताया।
उन्होंने कहा कि ‘विकसित भारत’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए पीएम मोदी ने जो विजन
दिया है, कृषि उसकी आधारशिला बनेगी। कृषि के माध्यम से लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में क्या
कदम उठाए जा सकते हैं। इस पर कृषि वैज्ञानिक, कृषि विभाग के अधिकारी-कार्मिक, औद्यानिक
फसल, खेती, डेयरी, मत्स्य पालन से जुड़े किसानों को खेती के बारे में आधुनिक जानकारी उपलब्ध
कराएंगे। इस अभिनव पहल के तहत वैज्ञानिक क्लाइमेटिक जोन (भौगोलिक, सामाजिक स्थिति) को
देखेंगे और किसानों को अर्ली बीज व लेट वेरायटी का प्रोडक्शन पर क्या असर पड़ता है, इसकी भी जानकारी देंगे।
सीएम योगी ने कहा कि 8 वर्ष के अंदर यूपी में डबल इंजन सरकार ने किसानों के जीवन में
परिवर्तन लाने के अभियान को अपने हाथों में लिया। यूपी में कृषि के लिए बहुत स्कोप है। देश की
कुल कृषि योग्य भूमि का 10-11 फीसदी हमारे पास है। इसी कृषि योग्य भूमि में यूपी का किसान
22-23 फीसदी खाद्यान्न उत्पादित करता है।
उन्होंने पिछली सरकारों पर आरोप लगाया कि किसान उनके सरकार के एजेंडे का हिस्सा नहीं बन
पाया था। किसान को बीज, एमएसपी का दाम, समय पर खाद, खेत के लिए पानी, तकनीक, स्वायल
हेल्थ की व्यवस्था नहीं थी। लागत कम, उत्पादक अधिक पर जोर नहीं था।
उन्होंने कहा कि खेती-किसानी पीएम मोदी के शीर्ष एजेंडे में है। देश में 11 वर्ष के अंदर खेती-
किसानी के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। उन्होंने स्वायल हेल्थ कार्ड का अभियान चलाया। किसानों
को पीएम कृषि बीमा योजना, पीएम कृषि सिंचाई योजना, एमएसपी, पीएम किसान सम्मान निधि का
लाभ मिल रहा है। किसानों को तकनीक से जोड़ने का कार्य हुआ। पिछले 10-11 वर्ष में काफी
परिवर्तन हुए हैं। 2014-15 में किसान को एक हजार रुपए भी गेहूं का दाम नहीं मिलता था, आज
एमएसपी 2,425 रुपए है। किसानों ने बाजार में 2,800 रुपए में गेहूं बेचा है। यह अन्नदाता किसान
के जीवन में आए परिवर्तन का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि यूपी में सिंचाई सुविधा में बढ़ोतरी हुई। 15 लाख किसानों के व्यक्तिगत ट्यूबवेल के
कनेक्शन फ्री किए गए। राज्य सरकार प्रतिवर्ष ढाई हजार करोड़ रुपए जमा करती है। सरयू नहर
राष्ट्रीय परियोजना, बाणसागर परियोजना, अर्जुन सहायक आदि परियोजना के माध्यम से डबल इंजन
सरकार ने प्रदेश में 23 लाख हेक्टेयर भूमि को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई। सेंटर
ऑफ एक्सीलेंस बनाए गए।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार यूपी में कृषि विज्ञान केंद्र को लागू नहीं करना चाहती थी, लेकिन
जैसे ही सूर्य प्रताप शाही कृषि मंत्री बने, उन्होंने 20 नए कृषि विज्ञान केंद्र को लाने में सफलता प्राप्त
की। आज 89 कृषि विज्ञान केंद्र कार्य कर रहे हैं। हम महात्मा बुद्ध के नाम पर कुशीनगर में पांचवां
कृषि विश्वविद्यालय स्थापित करने जा रहे हैं। प्रदेश के अंदर कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से नई
तकनीक, बीज की जानकारी किसानों को दी जा रही है। कृषि विवि भी इनोवेशन और कृषि के क्षेत्र में
रिसर्च एंड डवलपमेंट के नए केंद्र के रूप में उभरे हैं। उनकी नई गति प्रदेश की प्रगति में सहायक हो रही है।
सीएम योगी ने आगे कहा कि किसान अपनी आय को बढ़ा रहा है। 2017 के पहले सुनने को मिलता
था कि किसान को पर्ची नहीं मिली तो उसने खेत में आग लगा दी। किसान को वर्षों से गन्ना मूल्य
का भुगतान नहीं होता था। वह मजबूर होकर फसल में आग लगा देता था। किसान का आक्रोश
सरकार की स्थिति को बयां कर देता था। 1996 से 2017 (22 वर्ष) तक जितना गन्ना मूल्य
भुगतान हुआ, उससे 72 हजार करोड़ रुपए अधिक (2 लाख 85 हजार करोड़) हमने आठ वर्ष में
किसानों को दिया है। बंद हो रही चीनी मिलों को चलाया गया, नई चीनी मिलों को स्थापित किया
गया। 2017 के पहले चीनी मिलें बंद होती थीं। आज चीनी मिल लगाने के प्रस्ताव आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगले चार वर्ष में यूपी की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी
बनाएंगे। इसके लिए नया प्रयास प्रारंभ करने जा रहे हैं। यह कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन होगा।
सीएम ने यूपी एग्रीज का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पश्चिम के किसानों ने खेती समेत प्रत्येक
क्षेत्र में प्रगति की, मॉडर्न तकनीक अपनाया, नए बीज उपलब्ध कराए। वे लोग लागत कम करने और
उत्पादन बढ़ाने में सफल हुए। मध्य और पूर्व के किसान इस दिशा में काफी पीछे थे, इसलिए वर्ल्ड
बैंक के माध्यम से चार हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को इस वर्ष बढ़ाया गया है। इससे पूर्वांचल व
बुंदेलखंड-विंध्य क्षेत्र के 28 जनपदों को आच्छादित करने जा रहे हैं।
सीएम योगी ने कहा कि क्लाइमेट चेंज हमारी चुनौती है। मानसून 15-20 दिन पहले दिखाई दे रहा
है, लेकिन आशंका है कि डेढ़-दो महीने बीच में सूखा रहेगा, फिर बारिश आएगी। उस समय की
चुनौती की रणनीति अभी तैयार करनी होगी, फिर बारिश आएगी। यह चेंज उत्पादन पर असर
डालेगा। अच्छा बीज पड़ा तो अच्छा उत्पादन होगा, बीज एक महीने लेट होगा तो उत्पादन पर 30
फीसदी का अंतर डालेगा। अच्छा बीज मिल सके, इसके लिए किसानों को जागरूक करना पड़ेगा। आठ
वर्षों में मिलेट्स, नेचुरल फॉर्मिंग, दलहनी-तिलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ा है, लेकिन इसके लिए
और भी प्रयास करने चाहिए।
इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि आज विकसित कृषि संकल्प अभियान का
शुभारंभ हो रहा है। यूपी के सभी 75 जिलों में वैज्ञानिको की 225 टीमें सीधा संवाद करेंगी। आज से
कृषि विज्ञान केंद्रों पर वैज्ञानिक कृषक संवाद शुरू होगा। आधुनिक खेती और कृषि यंत्रो के साथ
उन्नत खेती की जानकारी दी जाएगी।अत्यधिक रासायनिक उर्वरको के प्रयोग को कम करने तथा
प्राकृतिक खेती की जानकारी दी जाएगी यूपी में 30% खाद्यान्न उत्पादन में हुई वृद्धि। 30 लाख
मीट्रिक टन खाद्यान उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
विकसित कृषि संकल्प अभियान के उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन राजधानी लखनऊ के लोक भवन
में आयोजित किया गया था जिसमें कृषि और उससे जुड़े विभिन्न विभागों के मंत्री मसलन स्वतंत्र
देव सिंह, धर्मपाल सिंह, जेपीएस राठौर, दिनेश प्रताप सिंह तथा बलदेव सिंह ओएलख आदि भी मौजूद थे।