शुक्रवार को प्रेसवार्ता कर दी जानकारी, बोलें: 25 साल पहले बनी पैडी पॉलिसी में होना चाहिए बदलाव
कैथल । हरियाणा राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा ने कहा कि एसोसिएशन के सदस्य आगामी धान सीजन को लेकर कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा से मिले। जिसमें मिलर्स, किसान, आढ़तियों से लेकर मजदूरों की मांगें रखीं गई। उन्होंने कहा कि इस बार भी सीएमआर कार्य कई जिलों में देर से शुरू हुआ। एफसीआई के पास स्पेस की
दिक्कत रही। जिस कारण मिलर्स चाहकर भी समय पर चावल नहीं जमा करा सके। इसके चलते एसोसिएशन ने पहले ही सरकार से चावल लगाने की समय सीमा 30 जून तक बढ़वाने की मांग की थी, जिसे केंद्र सरकार ने माना भी। पंजाब में तो इसको बढ़ा भी दिया गया है। इसके साथ ही सीएमआर के चावल की डिलीवरी देने के लिए कोटा निर्धारित करने की मांग की है। जिसमें कुल चावल का 60 प्रतिशत 31 मार्च तक, 70 प्रतिशत 30 अप्रैल तक, 80 प्रतिशत 31 मई तक और 100 प्रतिशत 30 जून तक किया जाए। उन्होंने कहा मिलर्स की
बोनस की मांग को भी जोरशोर से रखा गया। हरियाणा में सीएमआर कार्य समय पर पूरा करने पर केवल 15 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस दिया जाता है, वह भी उनको मिलता है जो 15 मार्च तक चावल की डिलीवरी देता है। इतने कम समय में पूरे चावल की डिलीवरी हो नहीं सकती। जबकि छतीसगढ़ व मध्य प्रदेश में 80 से 150 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दिया है और समयसीमा भी 30 जून तक रखी है। हरियाणा में चावल डिलीवरी की देरी होने पर होल्डिंग चार्जेज व ब्याज लगाया जाता है। जबकि पंजाब में 31 अगस्त तक भी चावल जमा कराने का समय दिया जाता है। उन्होंने बताया कि एसोसिएशन ने मांग की कि यूपी से आने वाले सीमावर्ती किसान जो हरियाणा में धान बेचते हैं, उनके लिए पोर्टल पर खरीद की सुविधा दी जाए।
साथ ही, राइस मिलर्स को पिछले तीन वर्षों से तिरपाल और कैरेट का किराया नहीं मिला, जो कि प्रति क्विंटल 1.5 रुपए बनता है। एफसीआई की ओर से मिलने वाले अनलोडिंग और स्टैकिंग चार्जेज 4.96 रुपए प्रति क्विंटल पंजाब में लगातार मिल रहे हैं, लेकिन हरियाणा के मिलर्स इससे वंचित हैं। इसको भी दिया जाए। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री ने आश्वासन दिया है कि जल्द से जल्द इन मु्द्दों का हल निश्चित तौर पर किया जाएगा। इस मौके पर जिला राइस मिल एसोसिएशन के प्रधान तरसेम गोयल, राइस मिल एसोसिएशन के प्रदेश कोषाध्यक्ष महाबीर सिंगला व नमन छाबड़ा सहित अन्य मौजूद रहे।
– 25 साल से पुराने नियमों पर चल रही पैडी पॉलिसी में भी बदलाव की मांग
उन्होंने कहा कि पैडी पॉलिसी 25 साल पहले बने नियमों पर चल रही है। उस समय हाथ से धान की कटाई होती थी। हाईब्रिड बीज भी नहीं थे। जिस कारण उस समय इल्ड भी ज्यादा होती थी और चावल में टुकड़ा व डैमेज डिस्कलर भी कम होता था। जबकि फिलहाल मंडियों में हाईब्रिड फसल आती है। जिसमें डैमेज डिस्कलर से लेकर ब्रोकन भी ज्यादा होता है और
इल्ड कम होती है। पॉलिसी के अनुसार धान का 67 फीसदी चावल जमा कराना होता है, लेकिन कुटाई में महज 64 फीसदी माल निकलता है। इसके साथ ही चावल में केवल 25 फीसदी टुकड़े को पास किया जाता है। जबकि चावल में 45 से 50 फीसदी तक टुकड़ा निकल रहा है। जिससे मिलर को हर साल मोटा नुकसान हो रहा है। इसलिए पॉलिसी में बदलवा की जरूरत है। इसके साथ ही साल 2024 में जो आईआईटी खड़गपुर की टीम द्वारा मंडियों से धान की इल्ड, टुकड़े सहित विभिन्न प्रकार की जांच के लिए ट्रायल ली गई थी। उसकी रिपोर्ट को भी अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
प्रदेश में बूथों पर काम करने वाले आढ़तियों के लाइसेंस होंगे रिन्यु
प्रदेशाध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा ने बताया कि सरकार की तरफ से आढ़तियों को एक सौगात दी गई है। जिसमें ऐसे आढ़ती जो बूथों पर काम कर रहे हैं। उनके लाइसेंस रिन्यु होने का रास्ता साफ हो गया है। जिन बूथों के आगे फसल डालने की जगह (फड) हैं। उनके एक साथ लाइसेंस रिन्यु किए जाएंगे। प्रदेश में ऐसे 3500 आढ़ती हैं। इसके साथ ही 700 बूथ ऐसे हैं, जिनको साल 2012-13 में लाइसेंस दिए गए थे, लेकिन उनको रिन्यु नहीं किया जा रहा था। अब उनको भी एक बार में ही रिन्यू किया जाएगा।

