इंडिया गौरव, राहुल सीवन। धार्मिक प्रवचन करते हुए महंत अवध बिहारी दास ने कहा कि इस संसार में सच्ची भक्ति और सत्कर्म ही आत्मा को परम शांति प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि जीवन का उद्देश्य केवल सांसारिक सुख-सुविधाएं जुटाना नहीं है, बल्कि परमात्मा के प्रति आस्था और समर्पण ही जीवन की सच्ची उपलब्धि है।
महंत अवध बिहारी दास ने कहा कि जो व्यक्ति अपने कर्मों में ईमानदारी रखता है और दूसरों के हित के लिए कार्य करता है, वही सच्चे अर्थों में धार्मिक कहलवाता है। धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि दूसरों की सेवा, करुणा और सत्य बोलना भी धर्म का ही अंग है। उन्होंने बताया कि आज के समय में लोग बाहरी दिखावे में उलझ कर अपने भीतर की शांति को खो बैठे हैं।
उन्होंने कहा कि मंदिर जाना, व्रत रखना या कथा सुनना तब तक अधूरा है जब तक दिल और हृदय से सच्ची श्रद्धा न हो। भगवान हृदय में वास करते हैं और हृदय की सच्ची पुकार को अवश्य सुनते हैं। उन्होंने सभी से अपील की कि अपने जीवन में अच्छे कर्म करें, संयम बरतें और दूसरों की मदद करने में कभी पीछे न हटें।
महंत अवध बिहारी दास ने कहा कि जीवन में दुख-सुख आते जाते रहते हैं लेकिन जो व्यक्ति हर परिस्थिति में ईश्वर का स्मरण करता है, वही अंततः परम आनंद को प्राप्त करता है। उन्होंने बताया कि धर्म की राह कठिन जरूर है लेकिन इस राह पर चलकर ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य को चाहिए कि वह अपने भीतर की अच्छाइयों को बढ़ाए और बुराइयों से दूर रहे। सेवा, प्रेम, दया और क्षमा का भाव ही सच्चे धर्म की पहचान है। उन्होंने सभी से निवेदन किया कि धार्मिकता को केवल दिखावे तक सीमित न रखें बल्कि उसे जीवन का हिस्सा बनाएं।

