कैथल । भाजपा जिला कार्यालय में जिलाध्यक्ष ज्योति सैनी ने कार्यकर्ताओं के साथ डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। ज्योति सैनी ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक है जिसे प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की इच्छाशक्ति ने संभव बनाया। जिलाध्यक्ष ने कहा कि मुखर्जी ने उस समय जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और परमिट प्रणाली का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने कहा कि जब 1950 में संविधान लागू हुआ और 1952 के चुनावों के बाद अनुच्छेद 370 लागू किया गया तो मुखर्जी ने अपनी आवाज बुलंद की और एक राष्ट्र एक नेता एक कानून की बात की। मुखर्जी को बिना परमिट के कश्मीर में प्रवेश करते समय गिरफ्तार किया गया और 23 जून 1953 को हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई। श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901
को हुआ था। वे बैरिस्टर और शिक्षाविद् थे। वे 33 वर्ष की आयु में कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के कुलपति बने। उन्होंने कुछ समय के लिए बंगाल के वित्त मंत्री और बाद में नेहरू मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया, 1950 में दिल्ली समझौते के कारण उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद उन्होंने 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की और इसके पहले अध्यक्ष बने। इस मौके पर मुनीष कठवाड़, सुरेश संधू, जिला मीडिया प्रभारी राज रमन दीक्षित, नरेश सजुमा, राम शर्मा सुमित कुमार आदि कार्यकर्ता मौजूद थे।

