नई दिल्ली, 30 जून (वेब वार्ता)। कांग्रेस ने पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा भगदड़ में श्रद्धालुओं
के हताहत होने को अत्यंत गंभीर घटना बताते हुए मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी से इस्तीफा देने की
मांग करते हुए कहा है कि घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए।
कांग्रेस सांसद सप्तगिरि उलाका तथा पार्टी नेता अरविंदा दास ने सोमवार को यहां पार्टी मुख्यालय में
संवाददाता सम्मेलन में इसे राज्य की भाजपा सरकार के कुप्रबंधन का परिणाम बताया। उन्होंने कहा
कि इस पवित्र कार्यक्रम में वीआईपी पर ध्यान केंद्रित करने के कारण उससे जो चूक हुई है, उसके
लिए भाजपा सरकार प्रभु जगन्नाथ से माफी मांगे और आश्वासन दे कि भविष्य में इस तरह की चूक
नहीं होगी। सरकारी तंत्र सिर्फ वीआईपी की सेवा में नहीं रहेगा और प्रभु के आम भक्तों की सुरक्षा पर
भी सतर्क रहेगा। उन्होंने भगदड़ की घटना के लिए मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री को जिम्मेदार बताते
हुए इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि घटना में कितने लोगों की
मृत्यु हुई। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 50-50 लाख रुपए की मदद करने करने और गंभीर रुप से
घायलों को 25-25 लाख रुपए की सहायता देने की भी मांग की है।
उन्होंने रथ यात्रा में कुप्रबंधन के कारण इस तरह की घटनाओं को शर्मनाक बताया और कहा कि यह
सुनिश्चित होना चाहिए कि आगे से इस तरह की घटनाएं नहीं हों। उनका कहना था कि पिछले साल
‘प्रभु बलभद्र’ जी की मूर्ति भी गिरा दी गई थी। तब सरकार ने कहा था कि इस मामले की जांच की
जाएगी लेकिन आज तक इसमें कुछ सामने नहीं आया है। असलियत यह है कि भाजपा सरकार ने
रथ यात्रा को ‘इवेंट मैनेजमेंट’ में बदल दिया है जिसके कारण यह गंभीर चूक हुई है। घटना की
जवाबदेही तय होनी चाहिए।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि ओडिशा के बाहर से भी बड़ी संख्या में लोग इस क्षेत्र में आने लगे हैं और
उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। पूरे प्रशासन का ध्यान वीआईपी सुरक्षा पर केंद्रित रहता है।
उनका कहना था कि ‘महाप्रभु जगन्नाथ रथ यात्रा’ सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह भारत की
संस्कृति है। यह एक अद्भुत यात्रा है, जहां महाप्रभु जगन्नाथ रथ से निकलकर लोगों के दर्शन करते
हैं। रथ यात्रा के दौरान हर साल लाखों लोग आते हैं। ऐसा कहीं नहीं होता है कि जहां भगवान खुद
चलकर लोगों से मिलने आते हैं। कोरोना काल में भी रथ यात्रा निकाली गई थी, लेकिन जो इस साल
की रथ यात्रा हुई, वह एक जगह रुक गई और ऐसा पहली बार हुआ है। इसके पीछे कारण यह था कि
रथ यात्रा के दौरान लगभग 5,000 कॉर्डन पास लोगों को बांटे गए। इनमें विधायक, सांसद जैसे लोग
शामिल थे। यही कारण था कि रथ यात्रा धीमी पड़ गई।
उन्होंने कहा “सबसे दुख की बात यह है कि खुद मुख्य प्रशासक कह रहे थे कि सारे भक्त अभी आए
नहीं हैं। पता नहीं आखिर वे किस भक्त की बात कर रहे थे। हालांकि, चर्चा यह थी कि रथ यात्रा के
दिन उद्योगपति गौतम अडानी आने वाले थे लेकिन वह दूसरे दिन आए। ऐसे में सवाल है कि क्या
‘रथ यात्रा’ अडानी के कारण रोकी गई।”
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि ओडिशा के मुख्यमंत्री ने कहा था कि ये एक ऐतिहासिक रथ यात्रा होगी।
इसमें एआई कंट्रोल सीसीटीवी होंगे, एकीकृत नियंत्रण सिस्टम होगा। लेकिन दुख की बात है कि जब
रथ यात्रा हुई, तो 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए और सात लोगों की मृत्यु हो गई। जब वहां
भगदड़ के पीड़ितों से बात की गई तो पता चला कि वहां सुरक्षा इंजताम के लिए पुलिस ही नहीं थी।
उन्होंने कहा कि प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा में न प्रभु का आदर किया गया और न उनके भक्तों
का। यहां सिर्फ सरकार के मंत्री और नेताओं को वीआईपी ट्रीटमेंट मिला। पुलिस सिर्फ वीआईपी लोगों
की सुरक्षा में लगी थी और उनके लिए जन-साधारण की सुरक्षा प्राथमिकता नहीं रही। सरकार को
लगता है कि ये छोटी-मोटी बात है, लेकिन ये छोटी बात नहीं है। हमें ये मंजूर नहीं है।

