Saturday, December 6, 2025
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आपातकाल में एक काला अध्याय जोड़ा गया :मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता

नई दिल्ली, 28 जून । दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि आपातकाल के दौरान
संविधान का गला घोंटकर लोकतंत्र की हत्या कर देश में एक काला अध्याय जोड़ दिया गया।
श्रीमती रेखा गुप्ता ने शनिवार को यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महिला मोर्चा की ओर से

आयोजित मॉक पार्लियामेंट में शामिल होने के बाद पत्रकारों से कहा कि इसमें आपातकाल 50 वर्ष पर
चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि उन्हें इसमें भाग लेकर बहुत अच्छा लगा कि वह महिलाएं जो राजनीतिक
प्लेटफार्म पर काम करती है उनको भी इस बात का पुख्ता ज्ञान होना चाहिए कि 25 जून 1975 को

इस देश में क्या हुआ। आपातकाल के दौरान लगातार 21 महीने तक देश को जेल में तब्दील किया
गया लाखों लोगों को जेल भेज दिया गया। उसके पीछे सिर्फ एक कारण सत्ता और सिंहासन का लोभ था।
उन्होंने कहा कि इस दौरान संविधान का गला घोंटा गया और लोकतंत्र की हत्या कर देश में एक

काला अध्याय जोड़ दिया गया। आज इस माॅक पार्लियामेंट के माध्यम से महिलाओं ने उस अध्याय
का ज्ञान हासिल किया कि कैसे भारत में लोगों ने अन्याय देखा और सहा था।
उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम देश के अलग-अलग हिस्सों में होना चाहिए। कोई भी सरकार

देश में संविधान से ऊपर नहीं है। संविधान की अवमानना करने वाले का दंश देश को झेलना पड़ता है।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, “आपातकाल की 50वीं बरसी पर दिल्ली प्रदेश
महिला मोर्चा द्वारा महाराष्ट्र सदन में आयोजित मॉक पार्लियामेंट में लोकतंत्र की हत्या के उस काले

अध्याय पर अपने विचार साझा किए। 1975 में सिर्फ एक परिवार की सत्ता बचाने के लिए कांग्रेस
सरकार ने पूरे देश को एक खुली जेल में तब्दील कर दिया था। हज़ारों देशभक्तों को बिना किसी
मुकदमे के जेलों में डाल दिया गया। आज जो लोग संविधान की दुहाई देते हैं, उन्हें याद रखना

चाहिए कि भारत की आत्मा को सबसे गहरा आघात कांग्रेस की ही तानाशाही ने पहुँचाया था।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, न्याय और संविधान के मूल्यों का गला
घोंटकर संविधान की हत्या कर दी थी।


उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नारी शक्ति, राष्ट्र शक्ति बन रही है। महिलाओं
को आवास, शौचालय, गैस कनेक्शन और स्वच्छ जल जैसी बुनियादी सुविधाएं मिली हैं। मुस्लिम

बहनों को तीन तलाक से मुक्ति और महिलाओं को संसद व विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण
के माध्यम से लोकतंत्र में बराबरी की भागीदारी सुनिश्चित हुई है। अब समय है हम महिलाएं न
केवल जागरूक बनें, बल्कि जिम्मेदारी लें और राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाएं।”

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