Sunday, August 10, 2025
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चौ. ईश्वर सिंह कन्या महाविद्यालय, में एक दिवसीय राष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन

संगोष्ठी का विषय था-वैश्वीकरण के युग में भारत की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण

ढांड, 8 अगस्त । चौधरी ईश्वर सिंह कन्या महाविद्यालय, ढांड-डडवाना, कैथल (हरियाणा) में आज उच्च शिक्षा निदेशालय, हरियाणा, पंचकूला (डीएचई) द्वारा अनुमोदित एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र से सम्बद्ध एक दिवसीय राष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी इतिहास विभाग, राजनीति विज्ञान विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (क्यूएसी) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई। संगोष्ठी का विषय था-वैश्वीकरण के

युग में भारत की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण। संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय प्रबंधक समिति के अध्यक्ष एवं पूंडरी से पूर्व विधायक चौ. तेजवीर सिंह के मार्गदर्शन तथा प्राचार्या डॉ. संगीता शर्मा के कुशल नेतृत्व में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में संयोजिका के रूप में इतिहास विभाग से डॉ. मंजू, सह-संयोजिका के रूप में संगीत विभाग से डॉ. सुनीता गुप्ता तथा राजनीति विज्ञान विभाग से प्रो. सोनिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उद्घाटन सत्र में भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं

महाविद्यालयों से लगभग 150 अध्यापक प्रतिभागी और 65 से अधिक शोधार्थी हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु आदि राज्यों से शामिल हुए। इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ताओं के रूप में प्रो. डॉ. कुसुम लता (अरविंदो कॉलेज, दिल्ली) ने संस्कृत : प्राचीन ज्ञान और बुद्धिमत्ता का भंडार विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए संस्कृत भाषा को वैदिक ज्ञान एवं परंपराओं की अमूल्य धरोहर बताया। प्रो. डॉ. सूचीस्मिता (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय,

कुरुक्षेत्र) ने भारत की सांस्कृतिक चेतना व राष्ट्रवाद के विकास में संगीत की भूमिका विषय पर अपने विचार रखते हुए संगीत को भारतीय अस्मिता का सशक्त संवाहक बताया। डॉ. विजय चावला (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र) ने भारतीय सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण विषय पर बोलते हुए विरासत की रक्षा को राष्ट्रीय जिम्मेदारी बताया। एसोसिएट प्रो. डॉ.

सुनीता देवी (पंजाब विश्वविद्यालय) ने वैश्वीकरण के दौर में भारत की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण विषय पर प्रकाश डालते हुए परंपराओं और आधुनिकता के संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया। तकनीकी सत्रों में 6 सत्र आयोजित किए गए, जिनमें डॉ. मीना रानी, डॉ. पूनम कैरो, डॉ. अनीता सांगवाल, असिस्टेंट प्रो. ललिता, भावना, अंजू, रोमा और मंजू ने सेशन चेयर की भूमिका निभाई। इन सत्रों में पंजीकृत अध्यापकों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। वैलिडिक्टरी सेशन में डॉ.

नीशि तुली एवं डॉ. सुनीता गुप्ता ने सभी मुख्य वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया और उनके प्रस्तुत विचारों का संक्षेप सभी प्रतिभागियों के समक्ष रखा। समापन सत्र में प्राचार्या डॉ. संगीता शर्मा ने सभी प्रतिभागियों एवं आयोजन टीम का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह संगोष्ठी केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति को संरक्षित रखने की दिशा में एक सार्थक पहल है, जो समय-समय पर महाविद्यालय में आयोजित होनी चाहिए, ताकि हमारी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण हो सके।

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