ढांड, 25 अक्तूबर । पूर्व डायरैक्टर हैफेड एवं प्रसिद्ध समाजसेवी रामचंद्र जडौला ने कहा कि बढ़ता फॉग और प्रदूषण आज वातावरण ही नहीं बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाकों में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में खराश
जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। नई अनाज मंडी ढांड स्थित अपने प्रतिष्ठान पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान जडौला ने कहा कि इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए सरकार, समाज और नागरिक-तीनों को मिलकर प्रयास करने होंगे। केवल सरकारी आदेशों से नहीं, बल्कि जनसहभागिता और जागरूकता से ही इस चुनौती को हराया जा सकता है। उन्होंने
कहा कि हरियाणा सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में कुड़ा कचरा जलाने, वाहनों से निकलने वाले धुएं, औद्योगिक उत्सर्जन और धूल प्रदूषण के कारण वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है। इससे न केवल वातावरण अस्वस्थ हो रहा है, बल्कि आगामी पीढिय़ों के लिए भी खतरा पैदा हो रहा है। सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे, जैसे-प्रदूषण फैलाने वाले
उद्योगों पर सख्त कार्रवाई, वाहनों की जांच प्रणाली को मजबूत करना, और खुले में कचरा जलाने वालों पर दंडात्मक कार्यवाही करना। उन्होंने कहा कि पेड़-पौधे प्रदूषण नियंत्रण के सबसे सशक्त साधन हैं, क्योंकि वे वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं। यदि राज्यभर में वृक्षारोपण को जन आंदोलन बनाया
जाए, तो प्रदूषण पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। समाजसेवी संस्थाओं और सरकारी विभागों को सार्वजनिक स्थलों, सडक़ों और विद्यालयों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाना चाहिए। रामचंद्र जडौला ने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना समय की मांग है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय स्रोतों के प्रयोग
से न केवल प्रदूषण घटेगा, बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी। कचरा प्रबंधन प्रणाली को प्रभावी बनाना आवश्यक है, ताकि अवैध जलाने और खुले में फेंके जा रहे अपशिष्ट को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि यदि हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझे और प्रदूषण घटाने के छोटे-छोटे प्रयास करे, जैसे—वाहनों का सीमित उपयोग, बिजली की बचत,
प्लास्टिक से परहेज और अधिक पौधे लगाना, तो बड़ा परिवर्तन संभव है। जडौला ने कहा कि यह समय सामूहिक प्रयासों का है। यदि सरकार, किसान, उद्योगपति और आम नागरिक मिलकर काम करें, तो आने वाली पीढिय़ों के लिए एक स्वच्छ, हरित और स्वस्थ हरियाणा तैयार किया जा सकता है।

