गर्मी के साथ बारिश का मौसम आ चुका है। इस चिपचिपी गर्मी और भयंकर उमस वाले मौसम में
साफ-सफाई के साथ ही खानपान का भी ध्यान रखने की जरूरत होती है। कई बार रोजमर्रा में खाया
जाने वाले खाना ही नुकसान कर जाता है। इसीलिए आयुर्वेद में हर खाने की चीज के लिए मौसम
डिसाइड किया है। जैसे न्यूट्रिशनिस्ट श्वेत शाह बताती हैं कि बारिश यानी मानसून में दाल खाने को
लेकर भी सावधानी बरतनी चाहिए। गर्मियों के शुरू होने के साथ ही कुछ खास दालों को खाने से पूरी
तरह परहेज करना चाहिए नहीं तो डाइजेशन खराब हो जाता है। जानें कौन सी दालों को खाने से
गर्मी और बारिश में बचना चाहिए।
उड़द दाल
गर्मी और बारिश के मौसम में जिन दालों को नहीं खाना चाहिए उसमे पहले नंबर पर है उड़द की
दाल। उड़द की दाल डाइजेशन के लिए भारी होती है। इसे मानसून और गर्मी में खाने से पूरी तरह
परहेज करना चाहिए। खासतौर पर रात के वक्त तो उड़द की दाल को खाने से पूरी तरह बचना
चाहिए। नहीं तो इनडाइजेशन, सीने में जलन, खट्टी डकार और बेचैनी जैसी समस्या बहुत जल्दी होने
लगती है। क्योंकि आयुर्वेद में उड़द की दाल को गरिष्ठ बताया गया है। जो ना केवल पचने में
मुश्किल होती है बल्कि इसे खाने से शरीर में पित्त बढ़ता है। इसलिए मानसून और गर्मी दोनों ही
समय उड़द की दाल को नहीं खाना चाहिए।
चना दाल
चने की दाल को भी मानसून और गर्मी में खाने से बचना चाहिए। चने की दाल में फाइबर की मात्रा
ज्यादा होती है और ये आसानी से नहीं पचती। इसलिए गर्मियों में चने की दाल को भी भूलकर भी
नहीं खाना चाहिए।
कुल्थी की दाल
पहाड़ों पर कुल्थी की दाल सब खाते हैं लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि पहाड़ों का तापमान मैदानी
एरिया से कम होता है। भले ही कुल्थी की दाल को स्टोन गलाने वाली दाल माना जाता हो और ये
बहुत फायदेमंद हो। लेकिन मानसून और गर्मी में कुल्थी की दाल को भी खाने से परहेज करना
चाहिए। ये तीनों दालें पचने में गरिष्ठ होती हैं। जिसकी वजह से पेट और पाचन से जुड़ी दिक्कतें
परेशान करने लगती हैं। भूलकर भी इन 3 दालों को बारिश और गर्मी में नहीं खाना चाहिए।
इनसे भी करें परहेज
चना दाल, उड़द दाल और कुल्थी की दाल के अलावा राजमा को भी मानसून में नहीं खाना चाहिए।
राजमा भी शरीर में गर्मी पैदा करता है जिससे अपच होने की समस्या बढ़ जाती है।

