हृदय रोगों एवं स्वस्थ जीवनशैली को लेकर वक्ताओं ने दिए टिप्स
कैथल, 16 जून। जिला प्रशासन एवं आयुष विभाग कैथल के संयुक्त तत्वाधान में तथा एनआईआईएलएम यूनिवर्सिटी के विशेष सहयोग से 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में योग सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. शकुंतला दहिया ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. राजीव दहिया, योग विभाग की डीन डॉ. पवित्रा देवी ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया।
योग सेमिनार में योग विशेषज्ञ डॉ. एचएस हुड्डा ने अपने व्याख्यान में कहा कि आधुनिक जीवन में तनाव तथा ऑयली भोजन का नियमित सेवन से दिल की बीमारियां दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। योग की क्रियाओं से दिल को मजबूत बनाया जा सकता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. अंजलि श्योकंद ने बताया कि आयुर्वेद एवं योग को जीवन में अपनाने से जीवन को आरोग्य बनाया जा सकता है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि पतंजलि ऋषि के अष्टांग योग के बारे में विस्तृत रूप से बताया। एएमओ चौशाला डॉ. मिनी राठी ने आयुर्वेद पंचकर्म एवं योग की विभिन्न रोगों की चिकित्सा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पंचकर्म में रक्तमोक्षण जिसे लीच थेरेपी से वात रोगों जैसे कमर दर्द, जोड़ों के दर्द, पित्त रोगों आदि में बड़ा ही अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है। पंचकर्म की अन्य थेरेपी शिरोधारा, वमन आदि के बारे में विस्तृत चर्चा की गई।
डॉ. शकुंतला दहिया ने कहा कि योग एक प्राचीन अभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि मानसिक शांति और भावनात्मक स्थिरता भी प्रदान करता है। योग के नियमित अभ्यास से तनाव कम होता है, एकाग्रता में सुधार होता है, और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। योग से हार्मोन पर बहुत ही प्रभावशाली असर होता है। जीवनशैली में चिड़चिड़ापन, गुस्सा, तनाव, ये सब हार्मोन संतुलित न होने का ही परिणाम है। अनुलोम विलोम, भ्रामरी प्राणायाम, ध्यान आदि योग क्रियाएं हार्मोन को बैलेंस करने में मददगार है। इस अवसर पर आयुष विभाग की जिला योग कॉर्डिनेटर डॉ राजेन्द्र कुमार, योग विशेषज्ञ डॉ. एचएस हुड्डा, आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. अंजलि श्योकंद, डॉ. एकता चहल, डॉ. रेखा गुप्ता, डॉ. राजीव पाल आदि स्टाफ सदस्यों सहित अन्य मौजूद रहे।

