जिला मत्स्य विभाग की ओर से कोटिकूट तीर्थ क्योड़क में किया गया मत्स्य पुनर्वासन एवं संरक्षण (रैंचिंग) कार्यक्रम आयोजन
डीसी ने की अपील: मत्स्य पालन को अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ाएं और आत्मनिर्भर बने
कैथल, 5 अगस्त। जिला मत्स्य विभाग द्वारा मंगलवार को कोटिकूट तीर्थ क्योड़क में मछलियों के संरक्षण के लिए मत्स्य पुनर्वास एवं संरक्षण (रैंचिंग) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डीसी प्रीति ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और मछली बीज सरोवर में छोड़ा। इस अवसर पर डीसी प्रीति ने ग्रामीणों की समस्याएं भी सुनी और उनके जल्द समाधान का आश्वासन भी दिया।
डीसी प्रीति ने कहा मछली पालन आदमी का महत्वपूर्ण साधन है। इसके साथ साथ यह जलाशयों का सदुपयोग का अच्छा माध्यम है। सरकार की सोच है कि मत्स्य पालन के साथ साथ मछली संरक्षण किया जाए, जिसके लिए रैंचिंग कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। इसके माध्यम से मछली संसाधनों का उचित प्रबंधन के साथ साथ मछलियों की संख्या बढ़ाना और किसान की आजीविका को सुरक्षित रखना है। रैंचिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें युवा मछलियों को प्राकृतिक जल स्रोतों जैसे नदियों या तालाबों में छोड़ा जाता है ताकि उनकी आबादी को बढ़ाया जा सके। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मछली प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि मछली पालन कम लागत में ज्यादा मुनाफे का साधन है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसमें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना है। जिसके तहत अनुदान दिया जा रहा है, ताकि मत्स्य पालकों की आमदनी को बढ़ा कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके। उन्होंने मत्स्य पालकों और आम जनता से इस मुहिम में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया। इसके अलावा उन्होंने ग्रामीणों से यातायात नियमों का पालन करने, नशे से दूर रहने तथा बच्चों की शिक्षा पर बल देने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि यातायात नियमों का पालन करके आप अपना तथा दूसरों का बहुमूल्य जीवन बचा सकते हैं और वहीं नशे से दूर रहकर आप मजबूत एवं सशक्त राष्ट्र एवं समाज के निर्माण में अपना सक्रिय योगदान दे सकते हैं। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं अच्छे संस्कार दें, ताकि वे जीवन में सफल हो सकें।
जिला मत्स्य अधिकारी दिलबाग ने कहा कि किसान मत्स्य पालन करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं। जिले में इस समय करीब 802 हेक्टेयर क्षेत्र में मछली पालन किया जा रहा है। इसमें 650 पंचायती या पट्टे पर लिए गए तालाब हैं और 152 निजी जलाशय शामिल हैं। जिले में वर्ष 2024-25 में करीब 8664 टन मछली का उत्पादन हुआ है। यहां पर किसान झींगा मछली, रोहू, कतला, मृगल, कामन क्राप, सिल्वर क्राप और ग्रास क्रॉप का पालन करते हैं।
मत्स्य अधिकारी सूर्य प्रकाश ने सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नए तालाब की खुदाई, खाद खुराक, नए तालाब की नर्सरी, बीज पालन का निर्माण, लवणीय एवं क्षारीय क्षेत्रों के लिए तालाबों का निर्माण, बैकयार्ड सजावटी मछली पालन इकाई, मध्यम स्केल सजावटी मछली पालन इकाई, कोल्ड स्टोरेज एवं आइस प्लांट का आधुनिकीकरण, वातानुकूलित वाहन खरीदने, इंसुलेटेड वाहन, आइस बाक्स के साथ मोटर साइकिल आदि के लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। इसके अलावा मत्स्य पालन के लिए सोलर सिस्टम पर भी अनुदान दिया जाता है। वहीं ग्रामीण तालाबों को पट्टे पर लेने के लिए भी अनुदान दिया जाता है।
इस अवसर पर सरपंच जसबीर सिंह ने गांव में खराब जल घरों के ट्यूबवेल को ठीक करवाने, गांव में तालाब की सफाई करवाने, सीवरेज की सफाई करवाने तथा बारिश के कारण कुछ लोगों के गिरे हुए मकान बनवाने की मांग रखी। डीसी प्रीति ने उन्हें आश्वासन दिया कि जल्द ही इन समस्याओं का समाधान करवाया जाएगा। गांव वासियों ने गांव में पहुंचने पर डीसी का स्वागत किया। डीसी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे अपनी समस्याओं के लिए किसी भी समय उनके कार्यालय में आकर मिल सकते हैं। गांव वासियों ने जो समस्याएं रखी हैं, उनका जल्द से जल्द समाधान करवाया जाएगा।

