कैथल, 15 जुलाई। भाजपा जिला अध्यक्ष ज्योति सैनी ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का काला दौर था। इस दौरान लोगों को यातनाएं दी गई। आंदोलनकारियों को जेलों में डाल दिया गया था। 25 जून 1975 की रात में देश में आपातकाल की घोषणा करके लोकतंत्र की हत्या की गई थी। यह देशवासियों के लिए काफी दुखदायी था। विभिन्न आयोजनों एवं प्रदर्शन के माध्यम से आपातकाल से अनभिज्ञ युवा पीढ़ी को हकीकत से रूबरू करवाया जा रहा है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकतंत्र की मजबूती के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं।
ज्योति सैनी मंगलवार को लघु सचिवालय में आपातकाल के 50 वर्ष
ज्योति सैनी मंगलवार को लघु सचिवालय में आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर लगाई गई प्रदर्शनी के उद्घाटन एवं अवलोकन उपरांत पत्रकारों से बातचीत कर रहीं थीं। इसके साथ ही एक प्रदर्शनी डा. भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय में लगाई गई है। प्रदर्शनी अवलोकन उपरांत उन्होंने कहा कि आपातकाल को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना इस बात की याद दिलाता है कि जब भारत के संविधान में शामिल नागरिकों के अधिकारों को रौंदा गया था, तो क्या हुआ था। यह उन लोगों को श्रद्धांजलि देने का भी समय है, जिन्होंने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण पीड़ा झेली थी।
इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को बचाने के लिए
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को बचाने के लिए रातों-रात आपातकाल लगाया गया था। उन्होंने प्रेस पर भी प्रतिबंध लगाया दिया गया था। नागरिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था। 1975 में जब आपातकाल लगाया गया तो नरेंद्र मोदी ने लाखों देशवासियों की भांति तत्कालीन सरकार की इस दमनकारी नीति के खिलाफ आवाज उठाई थी। लोकतंत्र की इसी चेतना और सतर्कता को जीवित रखने के लिए भाजपा सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों को हर स्तर पर सम्मान देने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने एक जुलाई 2024 से उनकी मासिक पेंशन को 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 20 हजार रुपये किया है।
भाजपा जिला महामंत्री सुरेश संधू ने कहा
भाजपा जिला महामंत्री सुरेश संधू ने कहा कि आपातकाल कांग्रेस की सत्ता की भूख का परिणाम था। यह इतिहास में काल अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। भाजपा महामंत्री मनीष शर्मा ने कहा कि आपातकाल कांग्रेस पार्टी द्वारा लोकतंत्र की हत्या का एक सबूत है। यह प्रदर्शनी आमजन को यह बताती है कि उस समय सत्ता के लालच में तत्कालीन सरकार ने आम जनों पर अत्याचार किया था। इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। लोगों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और आपातकाल के दौरान के हालातों को जाना।

