संस्कृत विश्वविद्यालय में हुआ संस्कृत सप्ताह का भव्य आयोजन
कैथल । संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल में संस्कृत सप्ताह के तहत विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। कुलपति के संरक्षण में विश्वविद्यालय के भारतीय ज्ञान-परंपरा शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र और संस्कृत भारती के संयुक्त तत्वावधान में दस दिवसीय दो संस्कृत संभाषण प्रशिक्षण शिविरों का शुभारंभ हुआ। ये शिविर 14 अगस्त तक प्रतिदिन प्रात: 9:15 बजे से 10:30 बजे तक विश्वविद्यालय के टीक परिसर में चलेंगे। शिविर के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं शैक्षणिक अधिष्ठाता, प्रो. संजय गोयल ने
संस्कृत को भारतीय ज्ञान-परंपरा का मूल स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृत सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता और संस्कृति का आधार है। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि संस्कृतभारती जैसे संगठन इसे केवल शैक्षणिक भाषा से हटाकर, व्यवहार में लाने के लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। साहित्य संस्कृति संकायाध्यक्ष, डॉ. जगतनारायण ने बताया कि कैसे संस्कृत केवल व्याकरण और साहित्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों और नैतिकता को भी प्रभावित करती है। उन्होंने व्यावहारिक उदाहरणों के
माध्यम से संस्कृत की प्रासंगिकता और उपयोगिता पर प्रकाश डाला। इन प्रशिक्षण शिविरों का संचालन ज्योतिष विभाग के सहायक आचार्य डॉ. नवीन शर्मा और दर्शन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विनय गोपाल त्रिपाठी द्वारा किया जा रहा है। उनके साथ संस्कृत भारती के कार्यकर्ता मोहित, सचिन, मंजू और अक्षय भी शिक्षकों की भूमिका में हैं। कार्यक्रम का समापन
हिंदू अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ. कृष्ण चंद्र पांडेय के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम में डॉ. रामानन्द मिश्र, डॉ. देवेन्द्र सिंह, डॉ. चन्द्रकान्त, डॉ. गोविन्द वल्लभ और डॉ. हरीश सहित विश्वविद्यालय परिवार के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।

