कैथल । साहित्य सभा कैथल द्वारा अगस्त मास की काव्य-काव्य-गोष्ठी का आयोजन आर0के0एस0डी0 कालेज में हुआ। साहित्य सभा के प्रेस सचिव डॉ0 तेजिंद्र ने बताया कि गोष्ठी की अध्यक्षता साहित्य सभा के उप प्रधान कमलेश शर्मा ने की। काव्य-गोष्ठी में रामकुमार भारतीय अलेवा ने मुख्य अतिथि के रूप में और टोहाना से आये साहित्यकार विनोद सिल्ला ने
विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया। गोष्ठी का संचालन कवि रिसाल जागड़ा ने किया। गोष्ठी के दौरान कवि मिट्ठू राम मंडल के प्रथम काव्य-संग्रह बिन पर परिंदे का लोकार्पण मुख्य अतिथि रामकुमार भारतीय, विशिष्ट अतिथि विनोद सिल्ला, गोष्ठी के अध्यक्ष कमलेश शर्मा और अन्य साहित्यकारों द्वारा हुआ। अपनी रचना में सुरेश कुमार कल्याण ने कहा, सावन
बरसा थाल भर गडग़ड़ थी आवाज। रविंद्र रवि का शेयर देखिये, इक दिल से जब दूजा दिल जुड़ जाता है गूंगे की आवाज को बहरा सुनता है। चतरभुज बंसल सौथा ने कहा, रक्षा-बंधन का मतलब हो सै रक्षा की जुम्मेदारी। सावित्री धारीवाल ने कहा, कौन जीत सका है बोलो बिना लड़े तक़दीरों से। डॉ0 तेजिंद्र ने कहा, वे कैसे कह सकते हैं कि मिल गई आजादी,
पंद्रह अगस्त के दिन जिनकी हुई थी शादी। रामफल गौड़ ने कहा, रह्या था गाम का वो हीरो आण शहर मैं होग्या जीरो। पूजा रानी के बाल थे, देखा मैंने एक सपना ऐसा एक घर हो अपना। रिसाल जांगड़ा का मुक्तक देखिये, देश पर मर-मिटने वाले याद रहेंगे उन वीरों के कारण हम आबाद रहेंगे। मिट्ठू राम मंडल ने कहा, कब तक खुद को कमज़ोर मानोगे।
विनोद सिल्ला ने संदेश दिया कि मीत बनों तो यूं बनो, जैसे खुश्बू फूल। कविराज रामकुमार भारतीय ने लिखा, न आग लिखता हूं न पानी लिखता हूं सिर्फ सरहदों पर जलती जवानी लिखता हूं। कमलेश शर्मा की एक झलक देखिये, मुझे याद है, हमारे आंगन में बिरवा था तुलसी का। इनके अतिरिक्त काव्य-गोष्ठी में सतीश शर्मा, अनिल कौशिक, सतबीर सिंह
जागलान, सोहन लाल शर्मा सोनी, पंडित श्याम सुंदर शर्मा गौड, सतपाल पराशर आनन्द, शमशेर कैंदल, हमसफीर, दिलबाग अकेला, यात्री गंगा, प्रीतम लाल शर्मा, महेंद्र पाल सारस्वत, रजनीश शर्मा, डॉ0 विकास आनन्द और आचल ने भी अपनी रचनाएं पढ़ी।