कैथल । सीपीआईएम ने उत्तर भारत में बाढ़ और भूस्खलन की असाधारण स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से जूझ रहे हैं। राज्य सचिव कामरेड प्रेम चंद ने प्रेस के नाम बयान जारी कर कहा कि पंजाब सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है और राज्य
के सभी 23 जिले बाढ़ प्रभावित घोषित हैं। रिपोर्टों के अनुसार राज्य के 1655 गांवों में लगभग 3 लाख एकड़ खड़ी फसलें आंशिक रूप से या पूरी तरह से जलमग्न हैं और 4 लाख से अधिक लोग सीधे प्रभावित बताए जा रहे हैं। भारी बारिश और कई बांधों से छोड़े गए अतिरिक्त पानी के कारण ब्यास, सतलुज, रावी और घग्गर नदियां उफान पर हैं और इस बाढ़ से
पंजाब और हरियाणा में खड़ी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। हरियाणा के 12 जिलों के 1,402 गांवों में फैली लगभग 2.5 लाख एकड़ ज़मीन पर खड़ी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं। जम्मू-कश्मीर में 170 से ज़्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है। हिमाचल प्रदेश में 320 से ज़्यादा लोगों की मौत और कई लोगों के लापता होने सहित भारी नुकसान हुआ है। सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, ज़मीन और घरों, मवेशियों, फलों के पेड़ों, खड़ी फसलों, वाहनों और गौशालाओं को भारी
नुकसान पहुंचा है। शिमला और कुल्लू में सेब के बाग़ तबाह हो गए हैं। अधिकारियों का अनुमान है कि लगभग 25,000 एकड़ बागवानी भूमि को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस भीषण आपदा से निपटने में विफल रही है। माकपा की मांग है कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए। राहत और पुनर्वास के उपाय युद्धस्तर पर किए जाने चाहिए। माकपा की टीमें सभी प्रभावित राज्यों में सक्रिय रूप से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचा रही हैं।

