कैथल, 11 सितंबर। शेरगढ़ स्थित पॉलिटेक्निक कालेज में फसल अवशेष प्रबंधन विषय को लेकर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें करीब 150 विद्यार्थियों ने भाग लिया। चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के अधीनस्थ स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र कैथल के वैज्ञानिक एवं फसल अवशेष प्रबंधन के नोडल अधिकारी डॉ. अमित
कुमार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि फसल अवशेष, अवशेष नहीं हैं, बल्कि किसान के लिए विशेष हैं तथा इनका प्रबंधन समय की मांग है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार द्वारा किसानों को अनुदान पर मशीनें जैसे सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, स्मार्ट सीडर, सरफेस सीडर, जीरो टिलेज मशीन, मल्चर, चॉपर तथा रोटावेटर दिए जाते हैं। जिनका उपयोग करके किसान फसल अवशेषों का यथास्थान प्रबंधन कर सकते हैं। फसलों की अधिक उपज लेने के लिए खरपतवारों का नियंत्रण करें तथा फसल में पानी व पोषक तत्वों की कमी न होने दे।
केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जसबीर सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि धान के फानों में आग लगाने से आबो-हवा प्रदूषित होती हैं तथा वायु गुणवत्ता सूचकांक पर विपरीत प्रभाव पड़ता हैं। जिससे आंखों में जलन, सांस लेने में
तकलीफ, हृदय समस्या आदि होती हैं। इसके साथ ही पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ जमीन में उपस्थित मित्र कीट भी नष्ट होते है, जो हमारी पैदावार पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करके कृषि विश्वविद्यालय तथा प्रशासन का सहयोग करे और अपनी भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं।
कार्यक्रम में केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. दीपक कुमार ने कहा कि पराली का यथास्थान प्रबंधन करके भूमि की जैविक कार्बन को बढ़ा सकते हैं जो भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने का प्रमुख कारक हैं। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत कौशिक ने विद्यार्थियों से कीटनाशक मुक्त सब्जियों का उत्पादन लेने तथा स्वच्छ खानपान के बारे में जानकारी दी। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के
प्रिंसिपल कुलवीर सिंह अहलावत तथा इंचार्ज अमित गुप्ता ने फसल अवशेष प्रबंधन की इस मुहिम में छात्रों को शामिल होने की अपील की।

