कैथल, 19 अक्टूबर। डिजिटल युग में ठगों ने लोगों को लूटने के तरीकों में तेजी से बदलाव किया है। अब साइबर अपराधी व्हाट्सऐप कॉल या मैसेज के माध्यम से “स्क्रीन शेयरिंग” या “मोबाइल मिररिंग” करवाकर खातों से पैसे उड़ाने लगे हैं। इस गंभीर होती प्रवृत्ति को देखते हुए पुलिस अधीक्षक कैथल उपासना ने नागरिकों को सतर्क रहने संबंधी
एडवाइजरी जारी की है। एसपी उपासना ने बताया कि ठग खुद को बैंक अधिकारी, कस्टमर केयर एजेंट, यूपीआई हेल्पडेस्क या सरकारी कर्मचारी बताकर संपर्क करते हैं। वे किसी समस्या के समाधान, केवाईसी अपडेट, रिफंड, इनाम या अकाउंट बंद होने की बात कहकर भरोसा जीतते हैं। इसके बाद वे व्हाट्सऐप पर लिंक भेजते हैं या स्क्रीन शेयर/रिमोट
एक्सेस ऐप इंस्टॉल करवाते हैं। एक बार व्यक्ति अपनी स्क्रीन शेयर कर देता है तो अपराधी बैंकिंग ऐप, ओटीपी, पासवर्ड, यू पी आई पीन सब कुछ देख लेते हैं और तुरंत ट्रांजैक्शन कर देते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में ठग व्हाट्सऐप वीडियो कॉल करके “देखो, मैं तुम्हारी मदद कर रहा हूँ” कहकर स्क्रीन शेयर करवाते हैं। कई बार वे “एनी डेस्क,
स्क्रीनशेयर, को ब्रावजिंग, रिमोट एक्सेस ” जैसे ऐप इंस्टॉल करवाते हैं जो मोबाइल का पूरा नियंत्रण ठगों को दे देते हैं।
एसपी उपासना ने कहा की कोई भी बैंक, सरकार या कस्टमर केयर कभी स्क्रीन शेयर करने या ओटीपी बताने को नहीं कहती। अनजान लिंक पर क्लिक न करें व प्ले स्टोर, ऐप स्टोर के अलावा कोई ऐप इंस्टॉल न करें। किसी भी स्थिति में फोन की स्क्रीन शेयरिंग चालू न करें।तकनीकी सहायता चाहिए तो आधिकारिक हेल्पलाइन नंबर पर सीधे संपर्क करें।
खातों में संदिग्ध ट्रांजैक्शन दिखे तो तुरंत बैंक से संपर्क करें। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति इस तरह की साइबर ठगी का शिकार हो जाता है, तो वह बिना देरी किए साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल पर शिकायत दर्ज करे। समय रहते रिपोर्ट करने पर पैसे वापस मिलने की संभावना ज्यादा रहती है।

