मेडिकल सुविधा व 30 हजार रिक्त पदों पर नियमित भर्ती की मांग
कैथल । हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य महासचिव रामपाल शर्मा, जिला प्रधान रामफल दयोहरा, जिला सचिव अमर नाथ किठानिया, शीशपाल शर्मा, विद्यावती, संगीता अहलावत, शमशेर कालिया, सुरेश द्राविड़, कर्मचंद केसर, गुरमीत सिंह, जोगिंद्र सिंह, कृष्ण आर्य, सतपाल पांचाल, राजकुमार कश्यप, जय भगवान चौहान, मस्त राम शास्त्री, वीरेंद्र
ढुल व संदीप जालंधरा ने संयुक्त प्रैस विज्ञप्ति जारी की। विज्ञप्ति में शिक्षकों की स्थानांतरण नीति को तर्कसंगत बनाए जाने, एसीपी के लंबित लाभों को तुरंत देने, शिक्षकों के कैशलेस मेडिकल सुविधाओं को अभिभावकों के लिए भी बिना आय सीमा के शुरू करने तथा प्रदेश में 30 हजार से अधिक खाली पड़े शिक्षकीय पदों पर नियमित भर्ती, छात्रों की प्रोत्साहन
राशि, गैर शैक्षणिक कार्यों की अधिकता पर रोक लगाने, टेट बारे पुनर्विचार याचिका डालने, मुख्याध्यापक पद पद पर पदोन्नति आदि मांगें एवं मांग पत्र में शामिल मांगें प्रमुख रूप में उठाई गई। बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि प्रदेश में सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। शहरों की बाहरी बस्तियों में आवश्यकता
अनुसार नए विद्यालय खोले जाएं, चिराग योजना को तत्काल बंद किया जाए तथा अध्यापकों से गैर-शैक्षणिक कार्य लेना बंद हो। शिक्षा पर जीडीपी का 6 प्रतिशत, केंद्रीय बजट का 10 प्रतिशत और राज्य बजट का कम से कम 30 प्रतिशत खर्च होना चाहिए।
इन मांगों पर भी की चर्चा
दो वर्ष की सेवा पूरी करने वाले अतिथि, कंप्यूटर, एचकेआरएन, आरोही, केजीबीवी एवं वोकेशनल अध्यापकों को नियमित किए जाने तथा नियमितीकरण तक मूल वेतन, महंगाई भत्ता और वार्षिक वृद्धि की व्यवस्था किए जाने की आवश्यकता बताई गई। प्राथमिक अध्यापकों का वेतनमान₹39,900 से प्रारंभ करने की भी मांग रखी गई। इसके अलावा अस्थाई भर्ती
पर रोक, बैकलॉग पूरा करने, हरियाणा के अध्यापकों के लिए पृथक वेतन आयोग का गठन एवं उसके लागू होने तक 5000 मासिक अंतरिम सहायता दिए जाने, पुरानी पेंशन नीति बहाल करने आदि की मांग भी की गई। संघ ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने मांगे नहीं मानी तो 7 नवंबर तक सभी जिलों में जिला स्तरीय प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे और 8 नवंबर को शिक्षा मंत्री के कैंप कार्यालय पर राज्यस्तरीय प्रदर्शन किया जाएगा।

